अल्मोड़ा लोकसभा क्षेत्र में भाजपा के मौजूदा सांसद पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा और कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सदस्य प्रदीप टम्टा के बीच सीधा मुकाबला है। अजय टम्टा भाजपा के टिकट पर 2014 में पहली बार अल्मोड़ा लोकसभा क्षेत्र से सांसद बने थे। 2009 में अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र को आरक्षित किया गया था और इस सीट पर 2009 में कांग्रेस के प्रदीप टम्टा पहली बार सांसद बने।
उसके बाद 2014 और 2019 में भाजपा के अजय टम्टा ने इस लोकसभा क्षेत्र से लगातार कांग्रेस के प्रदीप टम्टा को हराया। 2014 में पहली बार सांसद बनने के साथ ही अजय टम्टा केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में राज्य मंत्री के रूप में शामिल हुए थे। अब फिर से तीसरी बार भाजपा के अजय टम्टा और कांग्रेस के प्रदीप टम्टा के बीच मुकाबला है। दोनों के बीच सीधा-सीधा मुकाबला है। प्रदीप टम्टा कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत के खास विश्वास पात्र हैं। रावत ने मुख्यमंत्री रहते हुए उन्हें राज्यसभा में भिजवाया था। कुमाऊं के दलित नेताओं में प्रदीप टम्टा एक कद्दावर नेता माने जाते हैं।
अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र में कुमाऊँ मंडल के तीन जिलों अल्मोड़ा, बागेश्वर, चम्पावत, पिथौरागढ़ में विभक्त है और इसमें 14 विधानसभा क्षेत्र धारचूला, डीडीहाट, पिथौरागढ़, गंगोलीहाट (अजा), कापकोट, बागेश्वर (अजा), द्वाराहाट, सल्ट, रानीखेत, सोमेश्वर (अजा), अल्मोड़ा, जागेश्वर, लोहाघाट और चम्पावत शामिल है।
अल्मोड़ा लोकसभा क्षेत्र के मतदाता राष्ट्रीय राजनीति से हमेशा प्रभावित रहे हैं। अल्मोड़ा जिला कुमाऊं का सबसे पढ़ा लिखा जिला माना जाता है। और अल्मोड़ा को उत्तराखंड की सांस्कृतिक राजधानी भी कहते हैं। अल्मोड़ा जिला हमेशा राष्ट्रीय फलक पर अपना विशिष्ट स्थान लिए हुए हैं। आजादी के बाद अल्मोड़ा लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस का दबदबा ही रहा है।
1977 में आपातकाल के खिलाफ जब पूरे देश में लहर चली थी और कांग्रेस केंद्र में धराशाई हो गई थी तब अल्मोड़ा के मतदाताओं ने राष्ट्रीय राजनीति के मुद्दों से जुड़ते हुए इस सीट पर पहली बार कांग्रेस को शिकस्त दी थी और तब जनता पार्टी के टिकट पर पहली बार मुरली मनोहर जोशी अल्मोड़ा लोकसभा सीट से सांसद चुने गए थे।
फिर 1980 में इंदिरा गांधी की लहर चली तो पहली बार कांग्रेस के हरीश रावत अल्मोड़ा लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए थे। उसके बाद 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पूरे देश में उपजी सहानुभूति लहर में हरीश रावत 1984 में फिर से अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र से सांसद चुने गए।
1989 में विश्वनाथ प्रताप सिंह की लहर अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र को प्रभावित नहीं कर सकी और कांग्रेस के हरीश रावत फिर लगातार तीसरी बार कांग्रेस के टिकट पर सांसद चुने गए। और लगातार तीन बार सांसद चुने जाने का रिकार्ड भी हरीश रावत ने बनाया। 1991 में राम लहर के चलते हरीश रावत भाजपा के उम्मीदवार जीवन लाल शर्मा से चुनाव हार गए। पहली बार भाजपा ने अपने बूते अल्मोड़ा संसदीय सीट पर कब्जा जमाया।