Lok Sabha Election 2019: दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) के साथ गठबंधन को लेकर लंबे समय से चली आ रही ऊहापोह की स्थिति के बीच पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और दिल्ली कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने सोमवार को पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की। इस मुलाकात में गठबंधन को लेकर एकराय नहीं बन पाई। सूत्रों के मुताबिक, प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष शीला दीक्षित और कुछ अन्य नेताओं ने अरविंद केजरीवाल की पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करने के रुख को दोहराया, तो पूर्व अध्यक्ष अजय माकन, सुभाष चोपड़ा और कुछ अन्य नेताओं ने गठबंधन की पैरवी की। बैठक में शामिल एक नेता ने बताया कि मुलाकात के दौरान कांग्रेस के दिल्ली प्रभारी पीसी चाको ने प्रदेश में पार्टी के 12 जिला अध्यक्षों, वरिष्ठ नेताओं और तीन नगर निगमों में पार्टी के पार्षदों द्वारा हस्ताक्षरित पत्र भी गांधी को सौंपे, जिनमें गठबंधन की पैरवी की गई है। बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष ने पिछली बार की तरह केवल दिल्ली के नेताओं को सुना। माना जा रहा है कि एक-दो दिन में वे बाकी नेताओं से सलाह करके इस पर कोई अंतिम निर्णय करेंगे।
इसी मुद्दे पर दिल्ली के यही नेता राहुल गांधी से पांच मार्च को मिले थे तब चाको और अजय माकन के अलावा सभी नेताओं ने गठबंधन के खिलाफ राय दी थी। सोमवार की बैठक में गठबंधन न करने के पक्ष में शीला दीक्षित और तीनों कार्यकारी अध्यक्ष ही रह गए थे। यह साफ संकेत जाने लगा कि अपने अध्यक्ष के इशारे पर कांग्रेस मामला पलट रही है। सोमवार बैठक से लगा कि एक-दो दिन में गठबंधन की घोषणा हो जाएगी। गठबंधन के पैरवीकार पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल कह चुके हैं कि गठबंधन न होने पर भी वे चांदनी चौक से चुनाव लड़ेंगे। सोमवार की बैठक के बाद माकन ने कहा कि फैसला कांग्रेस अध्यक्ष को करना है लेकिन माहौल तो गठबंधन के पक्ष में है। वहीं शीला दीक्षित का रुख है कि पार्टी अपने बूते सातों सीटें लड़ेगी। दीक्षित इस मुद्दे पर चाको के अभियान चलाने पर एतराज जता चुकी हैं। चाको ने गठबंधन पर कार्यकर्ताओं की राय जानने के लिए एक सर्वे करवाया। कहा गया कि उसमें ज्यादातर कार्यकर्ताओं ने गठबंधन के पक्ष में मत दिया था। दीक्षित ने कहा था कि इस सर्वे की उनको जानकारी नहीं है। गठबंधन पर दो खेमों में बंटी पार्टी में निजी आरोप भी लगने लगे।
‘आप’ की पूरी ताकत कांग्रेस के पुराने मतदाता रहे हैं। दिल्ली की राजनीति करने वाले कांग्रेस नेताओं को यह लगता है कि अगर पार्टी के वोट कब्जाने वाली और कांग्रेस पर तरह-तरह के आरोप लगाने वाली ‘आप’ से तालमेल कर कांग्रेस जो भी हासिल करेगी उसका श्रेय ‘आप’ को जाएगा। दूसरे ‘आप’ का राजनीतिक ग्राफ लगातार गिर रहा है, उससे गठबंधन करके उसको फिर से जीवित करके कांग्रेस अपना बचा जनाधार खो देगी। ‘आप’ ने दिल्ली में लोकसभा के सभी सातों उम्मीदवार घोषित कर प्रचार शुरू कर दिया है। कांग्रेस से समझौते के लिए बेकरार ‘आप’ संभव है अपने कुछ उम्मीदवार चुनाव मैदान से हटा ले। बड़ी समस्या यह है कि ‘आप’ केवल दिल्ली में गठबंधन नहीं करना चाह रही है, वह हरियाणा और पंजाब में भी कांग्रेस से समझौता करना चाहती है। संभव है दबाव में राहुल गांधी दिल्ली समेत हरियाणा और पंजाब में ‘आप’ से समझौता करवा दें लेकिन इस पर पार्टी में नई तरह की गुटबाजी पैदा हो गई है, जिससे निपटना पार्टी नेतृत्व के लिए आसान नहीं होगा। दिल्ली की सभी सातों सीटों पर एक चरण में 12 मई को मतदान होगा। वोटों की गिनती 23 मई को होगी।