मध्य प्रदेश में कांग्रेस के लिए अभी बहुमत की जंग भी आसान नहीं है लेकिन दूसरी चुनौती मुख्यमंत्री के नाम को लेकर खड़ी हो गई है। अभी पार्टी ने मुख्यमंत्री के दावेदार के रूप में किसी को प्रोजेक्ट नहीं किया है लेकिन छिंदवाड़ा इलाके में पार्टी के नेता कमल नाथ को मुख्यमंत्री बनाने के नाम पर वोट मांग रहे हैं। साथ ही वे यह भी कह रहे हैं कि महाकौशल से किसी को मुख्यमंत्री बनाने का यह सबसे अच्छा और शायद आखिरी मौका है। गौरतलब है कि कमल नाथ अभी विधानसभा चुनाव भी नहीं लड़ रहे हैं। यह चुनौती इसलिए बड़ी है क्योंकि प्रदेश के कई इलाकों में ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर भी जोर लगाया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि दशकों से छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे कमल नाथ को हाल ही में कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया है। इस इलाके में उनकी बेहतरीन पकड़ मानी जाती है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब कांग्रेस के छिंदवाड़ा जिलाध्यक्ष गंगा प्रसाद तिवारी से जब पूछा गया कि क्या कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी छिंदवाड़ा में प्रचार करेंगे तो उन्होंने कहा, ‘कमल नाथजी हैं ना।’

वैसे कांग्रेस को भले पूरा भरोसा हो लेकिन महाकौशल क्षेत्र के लोगों की बात करें तो विधानसभा और लोकसभा चुनाव में उनका रवैया बिलकुल अलग-अलग रहता है। 1980 से इलाके में लोकसभा चुनाव जीतते आ रहे कमल नाथ विधानसभा चुनावों के मामले में भाजपा को वैसी पटखनी नहीं दे पाते हैं। 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र की सात में चार सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन इसके ठीक छह महीने बाद हुए लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद कमल नाथ ने यहां से नौवीं बार जीत दर्ज की थी। 2008 और 2003 में छिंदवाड़ा इलाके की विधानसभा सीटों पर भाजपा के दबदबे के बावजूद लोकसभा चुनाव में लगातार नाथ अच्छे अंतर से जीतते रहे।

महाकौशल में कांग्रेस के चुनाव प्रचार का मंत्र बिलकुल साफ है। ‘वक्त है बदलाव का। जन-जन ने ठाना है, कमल नाथ को मुख्यमंत्री बनाना है।’ जैसे नारों के साथ कांग्रेस के वाहन इलाके में प्रचार कर रहे हैं। कांग्रेस के स्थानीय प्रत्याशी दीपक सक्सेना ने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि कमल नाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। इसका मतलब है कि सरकार छिंदवाड़ा से चलेगी। इसके बाद उन्होंने वादों की झड़ी लगाई और कहा कि यह सब तभी होगा जब कमल नाथ मुख्यमंत्री बनेंगे।

गौरतलब है कि इस इलाके में सभी प्रत्याशी कमल नाथ की पसंद से ही फाइनल हुए हैं। उदाहरण के तौर पर पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव के करीबी माने जाने वाले सौंसर के पूर्व विधायक अजय चौरे भी टिकट के बड़े दावेदार थे लेकिन नाथ ने यहां से उनके भाई विजय को टिकट दिलाया।

हालांकि इतने वर्चस्व के बावजूद खुद कमल नाथ ने चुनाव क्यों नहीं लड़ा? इस सवाल पर तिवारी समेत किसी कांग्रेस नेता ने संतोषजनक जवाब नहीं दिया। पार्टी के प्रचार कार्यालय के बाहर चाय पीते हुए कांग्रेस नेता राशिद खान ने कहा कि इसके पीछे भी कोई गणित होगा। बहरहाल, कमल नाथ को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बताए जाने से भाजपा चिंतित नजर नहीं आ रही। भाजपा के जिलाध्यक्ष नरेंद्र राजू परमार ने कहा, ‘सभी स्थानीय निकायों पर उनका नियंत्रण है। कमल नाथ हमेशा से यहां रहे हैं लेकिन हमने चुनाव जीते हैं। हम यहां चार से पांच सीटें जीतेंगे।’

कांग्रेस यहां मान रही है कि शिवराज सिंह चौहान की सरकार के खिलाफ महंगाई के साथ-साथ एंटी इनकमबेंसी फैक्टर काम करेगा। भाजपा भी यह बात मान रही है कि शहरों में व्यापारी वर्ग जीएसटी के आने से नाखुश है। भाजपा का कहना है कि राज्य सरकार के कल्याणकारी कामों का फायदा मिलेगा। पार्टी नेताओं का कहना है कि एंटी इनकमबेंसी फैक्टर कमल नाथ के भी खिलाफ है। उन्होंने आरोप लगाया कि वे इतने साल सांसद रहने के बावजूद छिंदवाड़ा से नागपुर के बीच की मीटर गेज को ब्रॉड गेज में तब्दील नहीं करा पाए।

कमल नाथ की मुख्यमंत्री के रूप में ताजपोशी की दावेदारी को आसपास के कांग्रेस नेता भी भुना रहे हैं। बैतूल जिले में कांग्रेस के प्रत्याशी सुखदेव पानसे कहते हैं कि ‘नाथ फैक्टर’ से उन्हें भी मदद मिलेगी। वे कहते हैं कि पूरा बैतूल जिला कमल नाथ को मुख्यमंत्री बनते देखना चाहता है। यहां उनका सिक्का चलता है।