कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश में भी अकेले विधानसभा और लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की है। कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि वह आंध्र प्रदेश में आगामी राज्य विधानसभा और लोकसभा दोनों के चुनाव अपने बूते लड़ेगी और सत्तारूढ़ तेलुगू देशम पार्टी के साथ कोई गठबंधन नहीं करेगी। अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव और केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने कहा, ‘‘हम सभी 175 विधानसभा सीटों और 25 लोकसभा सीटों पर अकेले लड़ेंगे। तेदेपा के साथ हमारा गठबंधन केवल राष्ट्रीय स्तर पर है, ऐसे में हम राज्य में गठबंधन (इसके साथ) नहीं करेंगे।’’

पीसीसी पदाधिकारियों की एक बैठक के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में चांडी ने कहा कि वे चुनाव की तैयारियों के बारे में चर्चा करने के लिए फिर 31 जनवरी को एकत्र होंगे। उन्होंने कहा कि राज्य कांग्रेस ने फरवरी में सभी 13 जिलों में एक बस यात्रा निकालने का निर्णय किया है।

इससे पहले उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी द्वारा सीटों के बंटवारे के बाद कांग्रेस ने राज्य के सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है। आगामी चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 23 जनवरी को बहन प्रियंका गांधी को पार्टी का महासचिव बनाया और उन्हें उत्तर प्रदेश (पूर्व) की जिम्मेदारी सौंपी।

चांडी ने प्रियंका गांधी वाड्रा को कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश -पश्चिम की प्रभारी नियुक्त किये जाने का स्वागत किया। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘प्रियंका जैसी बुद्धिमान और साहसी नेता की राष्ट्रीय राजनीति में जरूरत है। देश भी चाहता है कि राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनें।’’ एपीसीसी अध्यक्ष एन रघुवीर रेड्डी ने कहा कि वे चुनावी गठबंधन का निर्णय कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर छोड़ते हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि कांग्रेस आंध्र प्रदेश में अपने दम पर चुनाव लड़ेगी।

तमामा विपक्षी पार्टियां भाजपा को हराने के लिए एक साथ चुनाव लड़ने की कवायद कर रही हैं, पर कांग्रेस बड़े राज्यों में इस कवायद से होती जा रही है। यूपी से तो वह बाहर हो ही चुकी है, बिहार में भी ऐसी संभावना बनती दिख रही है। लोकसभा चुनाव के लिहाज से ये दोनों राज्य बेहद अहम हैं। दिल्ली की गद्दी पर बैठने के लिए इन दोनों राज्यों की सीटों का अहम योगदान होता है। वजह यह है कि दोनों राज्यों में मिलाकर कुल 120 लोकसभा सीटें हैं। (भाषा इनपुट के साथ)