सर्वेश कुमार
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावी जंग में सत्ता में काबिज होने के लिए आदिवासियों के लिए आरक्षित एक तिहाई सीटों पर जीत दर्ज करने के लिए भाजपा-कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। प्रदेश की 90 में से 29 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं, ऐसे में जिस पार्टी की तरफ आदिवासी मतों का पलड़ा भारी रहेगा, परिणाम उसके हक में होने की उम्मीद है।
2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 29 में से 27 सीटों पर जीत दर्ज की थी। आबादी के लिहाज से भी छत्तीसगढ़ में 30 फीसद से अधिक आदिवासी हैं। ऐसे में इन्हें लुभाने के लिए दोनों दलों ने आरक्षित सीटों पर अपने प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतार दिया है। इस बार के चुनाव में सर्व आदिवासी समाज की कोशिशों के बाद हमर राज पार्टी का गठन किया गया।
उदारीकरण के नाम पर कारपोरेट घरानों को बढ़ावा
पार्टी के संरक्षक और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने दोनों राष्ट्रीय पार्टियों पर निशाना साधते हुए कहा कि जल, जंगल और जमीन के पेसा कानून को उचित रूप में लागू नहीं किए जाने और प्रदेश में उदारीकरण के नाम पर कारपोरेट घरानों को बढ़ावा देने से आदिवासी समाज के लिए मुश्किलें और बढ़ेंगी। समाज का किसी पार्टी विशेष से रंजिश नहीं हैं, लेकिन हितों की अनदेखी होने का रोष है, जिसका असर मतदान में दिखेगा।
आदिवासियों की प्रदेश में अलग पार्टी गठित
पहली बार ऐसा हुआ है कि आदिवासियों की प्रदेश में अलग पार्टी गठित की गई है। यह एक प्रयोग है और समुदाय के मतदाताओं का रुख जो भी हो लेकिन इसका असर दोनों राष्ट्रीय पार्टियों पर पड़ेगा। कांग्रेस और भाजपा अब तक घोषित आरक्षित सीटों पर अपने उम्मीदवारों को उतार दिया है। अब देखना होगा कि चुनावी वादे और घोषणा पत्र में आदिवासियों के वोट बैंक को भुनाने के लिए कांग्रेस-भाजपा क्या रुख अपनाती है।
पिछले चुनाव में छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के लिए आरक्षित सीटों पर कांग्रेस का दबदबा रहा था। इनमें से 10 से अधिक आरक्षित सीटों पर कांग्रेस और भाजपा के बीच मतों का अंतर छह से 25 फीसद से भी अधिक था। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस बार आदिवासियों की अलग पार्टी बनने से भी दोनों दलों के वोट में कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा। ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस को अगर मतों का नुकसान पहुंचता भी है तो इसकी प्रतिशतता कम होगी।
32 आदिवासी उम्मीदवार उतारे मैदान में
छत्तीसगढ़ के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि विधानसभा चुनाव में 32 आदिवासी प्रत्याशी हैं। प्रदेश के किसानों के हित में कर्ज माफी और धान की कीमत और रकबा बढ़ाने का भी लाखों किसानों को फायदा मिलेगा। पेसा कानून प्रदेश में लागू कर दिया है। पार्टी के पूर्व वरिष्ठ नेता अरविंद नेताम के इस्तीफा देने के बाद नई पार्टी बनाने से नुकसान के बारे में बैज ने कहा कुछ नहीं होगा।