Lok Sabha Election 2019: पूर्व के दो राज्यों – पश्चिम बंगाल और ओडीशा में लोकसभा चुनाव के दौरान ‘मातृ शक्ति’ की चमक दिखेगी। बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने बंगाल में अपनी पार्टी के 41 फीसद टिकट महिलाओं को देने का ऐलान कर तमाम दलों को चौंका दिया। इससे एक दिन पूर्व ओडीशा के मुख्यमंत्री एवं बीजू जनता दल के प्रमुख नवीन पटनायक ने घोषणा की थी कि उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव में 33 फीसद सीटों पर महिला उम्मीदवार खड़े करेगी। बंगाल शक्तिपूजक राज्य है। ओडीशा के लोग वैष्णव मतावलंबी माने जाते हैं। लेकिन बंगाल का पड़ोसी होने के नाते वहां महिला शक्ति की धाक खूब है।

इन दोनों पार्टियों के ऐलान की प्रतिपक्षी भी आलोचना नहीं कर पा रहे हैं। राजनीति में महिलाओं के प्रतिनिधित्व के मुद्दे पर दोनों क्षेत्रीय दलों ने अब केंद्रीय राजनीतिक पार्टियों के पाले में गेंद डाल दी है। राष्ट्रीय राजनीति के चश्मे से देखें तो दोनों दलों ने ज्यादा कुछ नहीं किया, बस महिलाओं के कम प्रतिनिधित्व के मुद्दे को अपनी घोषणाओं से हवा दे दी। निवर्तमान लोकसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 11.8 फीसद है और राज्यसभा में 11 फीसद। लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 64 है और राज्यसभा में 27।

राष्ट्रीय दलों, खासकर बंगाल एवं ओडीशा में करिश्मा करने की योजना बना रही राष्ट्रीय पार्टी भाजपा के सामने क्षेत्रीय स्तर के इस ‘चमक’ की काट खोजने की बड़ी मजबूरी होगी। बंगाल में लोकसभा की 42 और ओडीशा में 21 सीटें हैं। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने 42 में से 34 सीटों और ओडीशा में बीजद ने 21 में से 20 सीटों पर जीत दर्ज की थी। यह आंकड़ा बरकरार रखने की तैयारी दोनों की है। ममता बनर्जी तो दावा कर चुकी हैं कि 42 में सभी सीटें जीतने की उनकी तैयारी है। अलबत्ता, यह साफ है कि दोनों पार्टियां चुनाव के बाद केंद्र में सरकार गठन के समय प्रभावी भूमिका की ताक में हैं। बकौल ममता बनर्जी, ‘राजनीतिक दल बात तो करते हैं बराबरी की, लेकिन महिला उम्मीदवारों को लेकर उनकी संकीर्ण सोच हमेशा आड़े आती है। उन्होंने कहा हमें इसकी घोषणा की जरूरत नहीं है। हम काम करके दिखाते हैं।’

दरअसल, महिलाओं का वोट देश में बड़ा वोट बैंक नहीं बन पाया। लेकिन बंगाल और ओडीशा समेत पूर्व एवं पूर्वोत्तर में महिला नेतृत्व को लेकर लोगों में विशेष आग्रह हमेशा रहा है। बंगाल में महिलाओं के वोट अधिकतर ममता बनर्जी की अपील पर किसी के समर्थन में जाते रहे हैं। अपनी इस खूबी को भांपते हुए चुनावी रणनीति बनाई है ममता बनर्जी ने। उनके 17 उम्मीदवारों में अभिनेत्रियां भी हैं, जिन्हें गाहे-बगाहे ममता बनर्जी अपनी राजनीतिक रैलियों के मंच पर उपस्थित करती रही हैं। बंगाल सरकार की विभिन्न कमेटियों में भी वे सक्रिय रही हैं। तृणमूल कांग्रेस के चेयरमैन सुब्रत बख्शी कहते हैं, ‘मातृ शक्ति ममता का मंत्र है। वाममोर्चा को ममता ने उखाड़ फेंका। अब वे भाजपा के मुकाबले अपनी परखी ताकत आजमा रही हैं।’

चुनिंदा सीटों पर महिलाओं को टिकट देना बंगाल में भाजपा की काट के लिए ममता का मंत्र बताया जा रहा है। चार अभिनेत्रियों को टिकट दिया गया है। उनमें मुनमुन सेन, नुसरत जहां, मिमी चक्रवर्ती और शताब्दी राय हैं। पूर्व अभिनेत्री और तृणमूल की सक्रिय सदस्य मुनमुन सेन को केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो के खिलाफ आसनसोल सीट से उतरा गया है। तृणमूल विधायक सत्यजित बिस्वास की पत्नी रूपाली विश्वास तृणमूल महिला शाखा में सक्रिय हैं। वे रानाघाट से मैदान में होंगी। बालाघाट से मौजूदा सांसद अर्पिता घोष दोबारा मैदान में होंगी। कृष्णानगर से महुआ मोइत्रा, बनगान से ममता बाला ठाकुर, जयनगर से प्रतिमा मंडल, आरामबाग से अपूर्वा पोद्दार के अलावा माला राय, बीरभा सोरेन आदि महिलाएं, जिन्हें टिकट दिया गया है- वे सभी जमीनी स्तर पर लड़ाकू छवि वाली हैं।