लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही एक बार फिर ईवीएम को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। विपक्ष दल ईवीएम पर लगातार सवाल उठाते रहे हैं। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। हालांकि विपक्षी दल आज तक ईवीएम को लेकर कोई ठोस सबूत नहीं दे पाए जिससे उनके ईवीएम टैंपरिंग के आरोपों को बल मिल सके। इस बार लोकसभा चुनाव में 55 लाख से भी अधिक ईवीएम का इस्तेमाल किया जा रहा है। क्या ईवीएम में छेड़छाड़ की जा सकती है? इस रिपोर्ट में जानते हैं कि ईवीएम को कहां तैयार किया जाता है और तैयार होने के बाद चुनाव तक उनकी सुरक्षा कैसे की जाती है।
पहली बार चुनाव में कब इस्तेमाल हुई ईवीएम
1977 में ईवीएम का विचार पहली बार सामने आया। 1979 में ईवीएम के पहले प्रोटोटाइप को इलेक्ट्रोनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और भारत इलेक्ट्रोनिक्स लिमिटेड ने मिलकर तैयार किया। इसका पहली बार इस्तेमाल 1982 के चुनाव में किया गया। तब एक ईवीएम में सिर्फ 8 प्रत्याशियों के नाम की सुविधा थी। 1989 में ईवीएम को 16 प्रत्याशियों के लिए डिजाइन किया गया।
कहां-कहां होती है ईवीएम की मैन्यूफेक्चरिंग
देश में पांच स्थानों पर ईवीएम की मैन्यूफेक्चरिंग की जाती है। ईवीएम को हरियाणा के पंचकुला, उत्तराखंड में कोटद्वार, उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, तेलंगाना के हैदराबाद और कर्नाटक के बेंग्लुरू में तैयार किया जाता है।
जहां तैयार होती हैं ईवीएम वहीं कैसी होती है सुरक्षा
ईवीएम तैयार करने के लिए हर मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट में 4 स्तरीय सुरक्षा होती है। इसमें पहले चरण में आईडी कार्ड के जरिए कर्मचारियों को मेन गेट से एंट्री दी जाती है। दूसरे चरण में सिक्यूरिटी गार्ड द्वारा चेकिंग की जाती है। तीसरे चरण में बायोमैट्रिक जांच की जाती है। वहीं अंतिम चरण में डिफेंडर गेट के लिए मैन्यूफैक्चरिंग रूम में एंट्री मिलती है।
वेयर हाउस तक कैसे भेजी जाती है ईवीएम?
ईवीएम को जितनी कड़ी सुरक्षा में तैयार किया जाता है उतनी की पुख्ता सुरक्षा के बीच उसे मैन्यूफेक्चरिंग यूनिट से वेयरहाउस तक पहुंचाया जाता है। सभी ट्रकों को राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में सील किया जाता है। इसके रूट पर नजर रखने के लिए वाहन में जीपीएस ट्रैकर लगाया जाता है। ईवीएम को ट्रक में लोड और अनलोड करने का जिला चुनाव अधिकारी की देखरेख में वीडियो बनाया जाता है। इसके बाद जब ईवीएम वेयरहाउस में पहुंचती हैं तो वहां पहले से ही राष्ट्रीय और स्थानीय राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि मौजूद रहते हैं।
इनकी मौजूदगी में ईवीएम को सुरक्षित रखा जाता है। हर महीने या कभी कभी तीन महीने में इन ईवीएम की जांच की जाती है। वेयर हाउस में 24 घंटे सीसीटीवी से नजर रखी जाती है। इसके अलावा यहां भारी संख्या में सुरक्षाकर्मी भी मौजूद रहते हैं। सभी वेयरहाउस और स्ट्रॉन्ग रूप में एंट्री और एग्जिट का एक ही रास्ता होता है। इसे हमेशा डबल लॉक से सीज किया जाता है। ईवीएम को स्ट्रॉन्ग रूप में रखने के बाद उस कमरे की लाइट काट दी जाती है।
