भोपाल से सांसद चुनी गईं साध्वी प्रज्ञा ठाकुर पर एक्शन लेने के मामले में अब भाजपा खामोश है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त कहने पर न केवल पार्टी ने प्रज्ञा सिंह ठाकुर से किनारा कर लिया था और माफी मांगने को कहा था बल्कि 17 मई को लोकसभा चुनावों के दौरान पार्टी अध्यक्ष के निर्देश पर पार्टी की अनुशासनात्मक कमेटी ने मामले में कारण बताओ नोटिस जारी किया था। कमेटी ने दस दिनों के अंदर प्रज्ञा ठाकुर को जवाब देने को कहा था। दस दिनों की मोहलत 28 मई को ही बीत गई लेकिन पांच दिन बाद भी ये साफ नहीं हो सका है कि भाजपा ने साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ क्या एक्शन लिया है।

बता दें कि साध्वी के बयान की पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के अलावा पीएम नरेंद्र मोदी ने भी निंदा की थी। पीएम ने तो यहां तक कहा था कि वो मन से कभी भी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को माफ नहीं कर सकेंगे। ‘द टेलिग्राफ’ ने भाजपा के अनुशासनात्मक कमेटी के सदस्य सत्यदेव सिंह से जब इस बाबत पूछा तो उन्होंने कहा, “मुझे कुछ नहीं मालूम। प्लीज हमारे संगठन महासचिव रामलालजी से संपर्क करें।” जब रामलाल से संपर्क किया गया तो उन्होंने फोन कॉल नहीं उठाया। कमेटी की दूसरी सदस्य बिजोया चक्रवर्ती ने भी फोन का जवाब नहीं दिया। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक जब से भाजपा अनुशासन कमेटी के हेड गणेशी लाल ओडिशा के गवर्नर बनाए गए हैं, तब से यह कमेटी मृतप्राय ही है।

पिछले शनिवार (25 मई) को जब संसद के सेंट्रल हॉल में पीएम मोदी को एनडीए और भाजपा संसदीय दल का नया नेता चुना जा रहा था तब प्रज्ञा सिंह ठाकुर भी वहीं थीं। उन्होंने पीएम मोदी को गुलदस्ता देकर शुभकामनाएं भी दी थीं, हालांकि दोनों नेताओं की नजरें नहीं मिल सकीं थीं। बता दें कि भाजपा ने सिर्फ प्रज्ञा सिंह ठाकुर को ही भड़काऊ या विवादित बयान के लिए कारण बताओ नोटिस नहीं जारी किया था। इनके अलावा तत्कालीन केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार हेगड़े और बीजेपी सांसद नलिन कुमार कातिल को भी इसी तरह दस दिनों की मोहलत दी गई थी लेकिन उन पर भी क्या एक्शन हुआ, किसी को जानकारी नहीं। साध्वी ने कहा था कि ‘नाथूराम गोडसे देशभक्त थे, हैं और रहेंगे।’ हालांकि, भाजपा ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को पाकिस्तान का राष्ट्रपिता कहने वाले एमपी बीजेपी प्रवक्ता अनिल सौमित्र को पार्टी से सस्पेंड कर दिया था।