हिमाचल प्रदेश से राज्यसभा के लिए होने वाले एकमात्र सीट के चुनाव में आंकड़े पूरी तरह से कांग्रेस के पक्ष में हैं मगर भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस मूल के ही नए भाजपाई हर्ष महाजन को उतार कर सबको चौंका दिया है। कांग्रेस के पास विशुद्ध रूप से 40 अपने विधायक हैं जबकि तीन निर्दलीय विधायक भी हैं। आंकड़ा 43 का बनता है और भाजपा के पास 25 ही विधायक हैं। कांग्रेस ने अभिषेक मनु सिंघवी को यहां से उम्मीदवार बनाया है।
फिर भी पुरानी सब परपंराओं को तोड़ते हुए भाजपा ने चंबा से संबंध रखने वाले कभी पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के अति खास नेताओं में शुमार रहे कई बार के विधायक व पूर्व मंत्री हर्ष महाजन को चुनाव मैदान में उम्मीदवार बनाया है तो कुछ तो बात है। कुछ सोच समझ कर ही यह निर्णय लिया होगा क्योंकि कांग्रेस की जीत तो तय लगती है।
मतों का अंतर 18 का है। अब लगता है कि भाजपा के पास कोई सूचना है कि वह कांग्रेस के नाराज विधायकों को अपने पाले में करके कुछ हलचल कर सकती है या फिर हर्ष महाजन जिनका अब तक का सारा राजनीतिक जीवन कांग्रेस में ही बीता है, के सहारे कांग्रेस में उनके मित्र विधायकों को साथ लाकर चौंकाने वाला परिणाम दे सकता है।
वर्तमान परिस्थितियों में कांग्रेस के लिए हार का कोई खतरा नजर नहीं आ रहा है क्योंकि तीनों निर्दलीय विधायकों को अभिषेक मनु सिंघवी के नामांकन मौके पर साथ रख कर कांग्रेस ने यह संकेत देने का प्रयास किया है कि 43 का पूरा आंकड़ा उनके साथ है। हार जीत का अंतर पाटना भाजपा के लिए दूर की कौड़ी लग रहा है, मगर लोकसभा चुनाव सिर पर हैं और यदि कांग्रेस के वोटों की गिनती 43 से एक भी कम हुई, जिसकी पूरी उम्मीद भाजपा ने बांध रखी है तो यह एक बड़ी चुनौती कांग्रेस को लोकसभा चुनावों के लिए हो सकती है। कांग्रेस में सेंध लगाकर भाजपा चुनावों के लिए अपना मनोबल ऊंचा करना चाहती है और कांग्रेस में फूट की बात का उठा कर उसे घेर सकती है।
शायद यही कारण है कि उसने सोच समझ कर उम्मीदवार उतारा है। कांग्रेस के राजेंद्र राणा, सुधीर शर्मा समेत कुछ विधायक साफ साफ पार्टी व सरकार से नाराज दिख रहे हैं। इनके कहने व हर्ष महाजन की उम्मीदवारी के बल पर कांग्रेस के कुछ और विधायक भी बदल सकते हैं, ऐसी उम्मीद ही शायद भाजपा ने लगाई है और तभी यह निर्णय लिया गया है।
अब देखना होगा कि 27 फरवरी को 43 बनाम 25 होता है या फिर कुछ और देखने को मिलता है। एक भी वोट कम होने से भले ही कांग्रेस की जीत में कोई फर्क नहीं पड़ेगा, मगर इसके चुनावों में गंभीर परिणाम हो सकते हैं। खतरा किसी भी दल को भी हो सकता है मगर हर्ष महाजन को उतार कर भारतीय जनता पार्टी ने एक बड़ा खेला कर दिया है। अब यह खेला 27 को भी देखने को मिल सकता है कि नहीं इस पर सबकी नजरें टिक गई हैं।
इधर, राज्यसभा के लिए अभिषेक मनु सिंघवी का नामांकन दाखिल करने के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि बहुमत कांग्रेस के साथ है। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी विपक्ष की तरफ से नामांकन भरे जाते रहे हैं, चौथी बार विपक्ष की ओर से उम्मीदवार दिया गया है। कांग्रेस का कोई विधायक नाराज नहीं है, कांग्रेस एकजुट है।
विपक्ष के नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि राजनीति में कुछ फैसले अचानक होते हैं। आलाकमान ने सोच समझ कर हर्ष महाजन को उम्मीदवार बनाया है। इनका लंबा राजनीतिक अनुभव है। कांग्रेस सरकार द्वारा लगाए गए जल उपकर के विरोध में अदालत में जो कंपनियां गई हैं, उनके वकील अभिषेक मनु सिंघवी रहे हैं जिन्हें उम्मीदवार बनाया गया है।
मुख्यमंत्री स्पष्ट करें कि यह विरोधाभास क्यों है। विपक्ष की तरफ से हर्ष महाजन को राज्यसभा उम्मीदवार बनाए जाने कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि चुनाव में प्रतिद्वंदी होना लोकतंत्र की खूबसूरती है। प्रदेश में कांग्रेस के पास पूर्ण बहुमत है। कांग्रेस एकजुट है और नतीजा भी उसी तरीके से आएगा।
भाजपा के उम्मीदवार हर्ष महाजन ने कहा कि सुक्खू सरकार में सभी पीड़ित हैं। अपनी अंतरात्मा की आवाज पर वोट करेंगे। मेरा सौभाग्य है कि मुझे भाजपा की ओर से उम्मीदवार बनाया गया है। यह मेरा सम्मान है, इसलिए आलाकमान का आभारी हूं। हमारी लड़ाई जीतने के लिए है। हम कम हों या ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है। चुनाव जीतने के लिए है।