भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से सोमवार (17 दिसंबर) को राफेल डील विवाद को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के लिए कहा था। मगर वह सूबे के नए सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ के शपथ ग्रहण समारोह में चले गए। दरअसल, बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने राफेल के मसले पर कांग्रेस को घेरने के लिए कुछ पार्टी नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों की सूची तैयार की थी। बीजेपी के इन नेताओं व मंत्रियों को अलग-अलग जगहों पर जाकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी थी, जिसमें शिवराज का नाम भी था।
बीजेपी की योजना के मुताबिक, शिवराज को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कॉन्फ्रेंस करनी थी, पर वह वहां नहीं पहुंचे। उनकी जगह केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने लखनऊ में पत्रकारों को पार्टी की ओर से संबोधित किया, जबकि चौहान भोपाल में कमलनाथ के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में विभिन्न दलों के नेताओं के साथ उपस्थित रहे।
राज्य में मामा के नाम से मशहूर शिवराज ने कमलनाथ के शपथ लेने के बाद मंच पर उनके साथ फोटो खिंचाया। शिवराज ने उस दौरान कांग्रेस के नए सीएम का हाथ उठा कर सबके सामने अभिवादन भी स्वीकार किया था। पूर्व सीएम के बगल में तब कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिंया भी खड़े थे।
बता दें कि कांग्रेस के तीनों मुख्यमंत्रियों (राजस्थानः अशोक गहलोत, मध्य प्रदेशः कमलनाथ और छत्तीसगढ़ः भूपेश बघेल) के शपथ ग्रहण समारोह में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी, बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती और समाजवादी पार्टी के नेता व यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव नहीं पहुंचे।
वहीं, वापपंथी दलों के नेता भी कार्यक्रम में नहीं नजर आए। बताया गया कि वे सभी व्यस्तता के चलते कार्यक्रम में नहीं आ सके थे। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) की केंद्रीय कमेटी और पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी समेत कई बड़े नेता बैठक में व्यस्त रहे, जबकि आम आदमी पार्टी ने भी कमलनाथ के शपथ ग्रहण में आने से किनारा कर लिया था।