बिहार की हाजीपुर लोकसभा सीट से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के प्रत्याशी और लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान 2.68 करोड़ रुपए मूल्य की चल और अचल संपत्ति के मालिक हैं। चिराग द्वारा दाखिल हलफनामे में यह जानकारी दी गई। चिराग ने हाजीपुर लोकसभा सीट से गुरुवार को नामांकन दाखिल किया था।

चिराग (41) ने निर्वाचन अधिकारी के समक्ष नामांकन पत्रों के साथ एक हलफनामा दाखिल किया, जिसमें उन्होंने अपने पास 1.66 करोड़ रुपए की चल संपत्ति और 1.02 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति होने की घोषणा की। हलफनामे के मुताबिक, उनके पास 42 हजार रुपए नकद और तीन बैंक खाते हैं। इसके अलावा उनके पास 14.40 लाख रुपए के सोने के आभूषण भी हैं।

हलफनामे के मुताबिक, चिराग की अचल संपत्ति में पटना में स्थित 1.02 करोड़ रुपए का घर भी शामिल है। उनके पास कोई अन्य अचल संपत्ति नहीं है। चिराग छह निजी फर्मों में निदेशक और शेयरधारक हैं। चिराग के पिता और दिवंगत नेता राम विलास पासवान ने नौ बार हाजीपुर लोकसभा सीट पर जीत हासिल की थी। लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में हाजीपुर लोकसभा सीट पर 20 मई को मतदान होगा।

‘सुप्रिया की जीत से संसद में मोदी के लिए एक सांसद का समर्थन कम हो जाएगा’

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि बारामती लोकसभा सीट से उनकी पार्टी की उम्मीदवार सुप्रिया सुले की जीत से संसद में प्रधानमंत्री मोदी के लिए एक सांसद का समर्थन कम हो जाएगा। गुुरुवार को बारामती लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली पुरंदर तहसील में सुले के लिए प्रचार करते हुए उन्होंने किसानों के मुद्दों पर भाजपा पर निशाना साधा। पुरंदर तहसील पुणे जिले में है।

सुले का मुकाबला राकांपा उम्मीदवार सुनेत्रा पवार से है, जो उनकी भाभी और उपमुख्यमंत्री अजित पवार की पत्नी हैं। शरद पवार ने कहा, हमने सुप्रिया सुले को अपना उम्मीदवार बनाया है इसलिए मतदान के दौरान ईवीएम में उनके नाम के आगे वाला बटन दबाएं। आपका मत न केवल उनकी जीत तय करेगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि मोदी का समर्थन नहीं करने वाले एक और सांसद हैं।

पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार में किसानों की हालत दयनीय हो गई है। उन्होंने कहा, अगर हम परिदृश्य बदलना चाहते हैं और नीति निर्माण में किसान-केंद्रित दृष्टिकोण रखना चाहते हैं, तो बदलाव लाना होगा। वरिष्ठ नेता ने दावा किया कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार किसानों को उनके कृषि उत्पादों के लिए लाभकारी मूल्य देने के पक्ष में नहीं है।