MY फार्म्युला से मतलब मुस्लिम-यादव गठजोड़ से है। यह फार्म्युला राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के दिमाग की उपज है और इसी गठजोड़ के दम पर लालू प्रसाद यादव सत्ता में आए थे। दरअसल इसकी पटकथा भागलपुर दंगों के बाद लिखी गई थी।
बता दें कि साल 1989 में भागलपुर में हिंदू-मुस्लिम दंगा हुआ था। इस दंगे के दौरान हजारों की संख्या में लोग मारे गए, जिनमें बड़ी संख्या में मुसलमान भी थे। भागलपुर दंगे के बाद मुसलमानों को लगा कि तत्कालीन सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस ने उनके साथ धोखा किया। तत्कालीन कांग्रेसी सीएम सत्येन्द्र नारायण सिन्हा पर सांप्रदायिक तनाव को नियंत्रित नहीं कर पाने का आरोप लगा।
इतना ही नहीं सत्येन्द्र नारायण सिन्हा ने दंगों के बाद भागलपुर का दौरा भी नहीं किया था। इससे मुस्लिमों में बड़ी नाराजगी पैदा हुई। बिहार में मुस्लिमों की आबादी 17 फीसदी है और कांग्रेस से नाराजगी के बाद मुस्लिम समुदाय किसी ऐसे नेता की तलाश में था, जो उनके साथ खड़ा हो सके।
लालू प्रसाद यादव ने इस मौके को लपक लिया और जेपी आंदोलन और जनता दल सोशलिस्ट पार्टी का हिस्सा रहे लालू प्रसाद यादव मुस्लिम समुदाय की आवाज बनकर उभरे और मुस्लिम मतदाताओं को अपने पाले में खींच लिया। बिहार की जनसंख्या के 14 फीसदी यादव मतदाता भी लालू के पीछे थे।
इसी को मिलाकर लालू प्रसाद यादव ने मुस्लिम-यादव गठजोड़ को अपना कोर वोटबैंक बना लिया। इसी गठजोड़ के दम पर राजद ने 1990 में सत्ता कब्जायी और साल 2005 तक पार्टी इस पर काबिज रही। लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा को रोककर भी लालू यादव मुस्लिम मतदाताओं की नजर में और चढ़ गए।
हालांकि नीतीश कुमार की जदयू और भाजपा ने मिलकर साल 2010 में जो गठजोड़ तैयार किया, उसके सामने लालू यादव हार गए। दरअसल भाजपा और जदयू ने राज्य के ओबीसी और ऊंची जाति के मतदाताओं को अपने साथ मिलाकर सत्ता कब्जायी और उसके बाद से अभी तक पीछे मुड़कर नहीं देखा है।
लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले में दोषी पाए जाने के चलते इन दिनों जेल में बंद हैं लेकिन बीते विधानसभा चुनाव में राजद को 80 सीटें मिली थीं, जिससे साफ पता चलता है कि राजद का मुस्लिम यादव गठजोड़ अभी भी मजबूत है और इन विधानसभा चुनाव में राजद फिर से जदयू और भाजपा के गठबंधन को कड़ी चुनौती देगी।