Bhagalpur Lok Sabha Election 2024 Date, Candidate Name: बिहार में एनडीए के घटक दलों के बीच लोकसभा चुनाव के लिए सीटों का बंटवारा पूरा हो चुका है। भागलपुर संसदीय सीट पर जनता दल युनाइटेड का उम्मीदवार चुनाव लड़ेगा। जेडीयू ने इसकी मांग भी की थी। यानी पार्टी को पुरानी सीट ही मिली है। केवल गया और काराकाट सीटों में बदलाव हुआ है। इनके बदले शिवहर सीट मिली है। गया सीट को जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) और काराकाट को उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) को दिया गया है। जेडीयू 16 सीटों बाल्मीकिनगर, सीतामढ़ी, झंझारपुर, सुपौल, किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, मधेपुरा, गोपालगंज, सिवान, भागलपुर, बांका, मुंगेर, नालंदा, जहानाबाद और शिवहर पर उम्मीदवार उतारेगी।

बीजेपी के हिस्से में आई चंपारण से सासाराम तक, कई सांसदों पर तलवार

बीजेपी प.चंपारण, पूर्वी चंपारण, औरंगाबाद, मधुबनी, अररिया, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, महाराजगंज, सारण, उजियारपुर, बेगूसराय, नवादा, पटना साहिब, पाटलिपुत्र, आरा, बक्सर, सासाराम से लड़ेगी। लेकिन भाजपा के कई सांसदों पर तलवार लटकी है। वहीं पांच सीटें वैशाली, हाजीपुर, समस्तीपुर, खगड़िया, जमुई चिराग की लोजपा (LJP) को दी गई है। चाचा पशुपति पारस अपने को ठगा सा महसूस कर रहे है।

2019 में जेडीयू उम्मीदवार ने पौने तीन लाख वोटों से दर्ज की थी जीत

भागलपुर सीट पिछली बार जेडीयू के अजय मंडल ने पौने तीन लाख से भी ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की थी। ये गंगोता जाति से है। वहीं जेडीयू के भागलपुर जिले के गोपालपुर के विधायक नरेंद्र कुमार नीरज उर्फ गोपाल मंडल का भी दावा इसी सीट को लेकर है। ये भी गंगोता जाति से ही है। वहीं 2014 के संसदीय चुनाव में राजद के शैलेश कुमार उर्फ वुलो मंडल बीजेपी के शाहनवाज हुसैन को पराजित कर जीते। ये भी गंगोता जाति से ही आते है। यानी गंगोता जाति 2014 से भागलपुर संसदीय क्षेत्र पर हावी है।

2019 चुनाव में भाजपा ने शाहनबाज को टिकट नहीं दिया। बल्कि यह सीट जेडीयू से तालमेल में उसे चली गई। अजय मंडल ने गंगोता जाति के ही आरजेडी के वुलो मंडल को पराजित किया। संकेत है कि राजग और महागठबंधन की ओर से गंगोता जाति से ही जुड़े उम्मीदवार होने है।

सभी दल गंगोता समुदाय के डेढ़ लाख वोटों को हासिल करना चाहती है

भागलपुर संसदीय क्षेत्र में डेढ़ लाख करीब गंगोता जाति के मतदाता है। हरेक पार्टी इस एक मुश्त वोट को हासिल करना चाहती है। और यह तय है कि राजग और महागठबंधन का एक ही उम्मीदवार चुनावी मैदान में आमने-सामने होगा। मसलन बीते चुनाव वाली ही स्थिति है। इसी के लिए अभी से राजनीतिक बिसात बिछाई जाने लगी है। गंगोता जाति के एक उम्मीदवार नरेंद्र कुमार नीरज उर्फ गोपाल मंडल भी उछलकूद कर अपने को सामने लाने की कोशिश में है। लेकिन बड़बोलेपन और बेजा हरकतों से ये हमेशा चर्चा में रहे है।

भागलपुर संसदीय सीट के इतिहास पर नजर डालने से पता चलता है कि कांग्रेस आठ दफा इस सीट से लड़ी और छह दफा जीती। इनके उम्मीदवार एक दफा बनारसी झुनझुनवाला थे। बाकी पांच बार भगवत झा आजाद थे। ये केंद्र में मंत्री और बाद में बिहार के मुख्यमंत्री भी बने। बीजेपी सात बार लड़ी और चार दफा जीती। इनमें प्रभाषचंद्र तिवारी, सुशील मोदी, और दो दफा शाहनवाज हुसैन थे। सीपीएम छह बार चुनाव लड़ी। मगर सफलता सिर्फ एक दफा हाथ लगी।

1999 के चुनाव में सीपीएम के सुबोध राय को विजयश्री मिली थी। इन्होंने बीजेपी के प्रभाषचंद्र तिवारी को पराजित किया था। वहीं जनता दल और आरजेडी आठ बार अपनी किस्मत आजमाई। मगर कामयाबी चार दफा ही मिली। इसमें तीन दफा चुनचुन यादव और एक बार शैलेश कुमार उर्फ वुलो मंडल की किस्मत चमकी। एक दफा 1977 में जनता पार्टी के डॉ. रामजी सिंह और एक बार 2019 में जेडीयू के अजय मंडल को जीत हासिल हुई है। आरजेडी की टिकट पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी के पिताश्री शकुनि चौधरी दो बार चुनाव लड़े। लेकिन सफलता नहीं मिली। मसलन भागलपुर सीट का संसद में ब्राह्मण, वैश्य, भूमिहार, मुसलमान, कुर्मी, और गंगोता जाति के लोग प्रतिनिधित्व कर चुके है। लेकिन अब 2014 से सभी दलों की राजनीति गंगोता जाति के इर्द-गिर्द घूम रही है।