बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनावों में अपने चिर प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी (सपा) का समर्थन करने का ऐलान किया है। अखिलेश यादव और मायावती बीजेपी के विजय रथ को रोकने के लिए एक होने का फैसला किया। लेकिन, फूलपुर लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में बाहुबली नेता अतीक अहमद ‘बुआ और बबुआ’ की राह का सबसे बड़ा रोड़ा साबित हो सकते हैं। अतीक फिलहाल जेल में बंद हैं। अतीक अहमद इस सीट पर बतौर निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में हैं। इससे मुस्लिम वोटों का विभाजन हो सकता है। हालांकि, इस सीट पर बसपा के साथ ही राकांपा, पीस पार्टी, निषाद पार्टी और रालोद ने सपा प्रत्याशी का समर्थन करने की घोषणा की है। बता दें कि योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य के क्रमश: मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री बनने से गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीटें खाली हो गई थीं, जिसके लिए उपचुनाव कराना अनिवार्य हो गया था। दोनों सीटों के लिए 11 मार्च को वोट डाले जाएंगे।

गोखपुर में बीजेपी का पलड़ा भारी, फूलपुर में नजदीकी मुकाबला: योगी आदित्यनाथ और गोरखनाथ मठ के प्रभाव के कारण गोरखपुर में बीजेपी का पलड़ा भारी माना जा रहा है, लेकिन फूलपुर में बीजेपी और सपा प्रत्याशियों के बीच काफी नजदीकी मुकाबला होने की संभावना जताई जा रही है। गोरखपुर में जाति समीकरण भी भाजपा के पक्ष में माना जा रहा है। राजनीतिक विशेषज्ञ बसपा का साथ देने से सपा को लाभ होने की बात कह रहे हैं। उनका मानना है कि पूरा नहीं तो कुछ वोट तो सपा के पक्ष में जरूर आएंगे। सपा के प्रवक्ता सुनील यादव चुनाव मैदान में अतीक अहमद की मौजूदगी को ज्यादा तवज्जो नहीं दिया था। उन्होंने कहा था कि फूलपुर में अतीक अहमद कोई फैक्टर नहीं हैं। उनके अनुसार, फूलपुर उपचुनाव वर्ष 2019 के संभावित ग्रांड अलायंस के लिए प्रयोगशाला साबित होगा।

भाजपा को मुस्लिम वोट के बंटने की उम्मीद: दूसरी तरफ, बीजेपी नेताओं का मानना है कि अतीक अहमद के चुनाव मैदान में आने से मुस्लिम वोटों का बंटवारा हो सकता है। साथ ही राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी को अपना दल से भी काफी उम्मीदें हैं। सहयोगी पार्टी की मदद से ओबीसी वोटों के भाजपा के पक्ष में आने की बात कही जा रही है। यही वजह है कि बीजेपी ने अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल को चुनाव प्रचार अभियान में उतारा। भाजपा के उत्तर प्रदेश प्रमुख महेंद्र नाथ पांडे ने सपा-बसपा गठजोड़ पर तंज कसते हुए 5 मार्च को कहा था कि वर्षों पहले जब सपा नेताओं ने मायावती को उत्तर प्रदेश गेस्ट हाउस कांड में मारने की कोशिश की थी तो भाजपा ने ही उन्हें बचाया था। अब उन्होंने राज्यसभा सीट के लिए सपा से ही हाथ मिला लिया। सीएम योगी आदित्यनाथ अखिलेश-माया के गठजोड़ की तुलना सांप और नेवले से कर चुके हैं।