हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में स्थानीय नेतृत्व को नजरअंदाज करने का खमियाजा उठा चुकी BJP ने राजस्थान और मध्य प्रदेश में टिकट बंटवारों में कुछ देर से सबक लिया। लेकिन इस सबक के बावजूद पार्टी में बगावती सुर जारी हैं। हालांकि, पार्टी के नेताओं का कहना है कि भाजपा एक परिवार है और परिवार में रूठना, मनाना चलता रहता है। उनका कहना है कि इसका चुनाव पर असर नहीं पड़ेगा।

भाजपा के वरिष्ठ नेता कहते हैं कि मध्य प्रदेश और राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की पहली सूची जारी होने के बाद स्थानीय नेताओं में भ्रम की स्थिति थी। यहां तक कि मध्य प्रदेश में तो जिन सांसदों को विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया गया, उन्हें कुछ घंटे पहले ही बताया गया। ऐसा ही कुछ राजस्थान की पहली सूची के समय भी देखा गया।

उन्होंने बताया कि इससे BJP के स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं में यह संदेश गया कि केंद्रीय नेतृत्व ही सबकुछ तय कर रहा है। इसके बाद बगावती तेवर भी देखे गए। इसके बाद केंद्रीय नेतृत्व जिनमें BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और अन्य केंद्रीय मंत्रियों ने स्थानीय नेतृत्व के साथ कई लंबी बैठकें कीं। इसके बाद तय किया गया कि पार्टी ने हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में स्थानीय नेतृत्व को दरकिनार करके जो गलती की थी, उसे इन चुनावों में न दोहराया जाए।

इस निर्णय के बाद राजस्थान और मध्य प्रदेश में आई उम्मीदवारों की सूची में स्थानीय नेताओं को ही जगह मिली। इसके साथ ही राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को फिर महत्त्व मिला। जबकि इससे पहले इन दोनों वरिष्ठ नेताओं को लेकर अलग तरह की चर्चाएं हो रही थीं। हालांकि, इसके बाद भी इन दोनों राज्यों में BJP में अभी भी बगावती सुर जारी हैं।

राजसमंद से भाजपा सांसद और विद्याधर नगर विधानसभा सीट से BJP की उम्मीदवार दीया कुमारी ने इस सीट पर नरपत सिंह राजवी के बजाय उन्हें उम्मीदवार बनाए जाने के विरोध को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि ऐसी चीजें होती रहती हैं। यह हर चुनाव में ऐसा होता है। पार्टी एक परिवार की तरह काम करती है और जल्द ही सब कुछ ठीक हो जाएगा।

राजवी को टिकट मिला तो आक्या नाराज

नरपत सिंह राजवी को दूसरी सूची में चित्तौड़गढ़ विधानसभा से टिकट मिल गया है। यहां के विधायक चंद्रभान सिंह आक्या के समर्थकों में नाराजगी देखी जा रही है। आक्या ने पार्टी नेतृत्व से कहा है कि यदि दो दिन में उनका नाम घोषित नहीं किया तो वह निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। वहीं, राजवी का कहना है कि वह आक्या को मना लेंगे।

भाजपा द्वारा सहाड़ा में उम्मीदवार बनाए गए लादू लाल पितलिया को लेकर उस क्षेत्र में विरोध के स्वर तेज होने लगे हैं। जाट समाज का कहना है कि 42 साल से सहाड़ा विधानसभा सीट से जाट समाज को प्रतिनिधित्व मिल रहा है लेकिन इस बार समाज की अनदेखी की गई है। राजस्थान में जिन नेताओं को टिकट नहीं मिला है, वो और उनके समर्थकों ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी के घर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी की अध्यक्षता में बागियों से बात करने के लिए एक समिति बनाई गई है लेकिन कोई भी समिति की बात सुनने को तैयार नहीं है।

MP में भी झेलनी पड़ रही बगावत

इसी तरह मध्य प्रदेश में भी BJP को अपनों की ही बगावत झेलनी पड़ रही है। बुरहानपुर में BJP ने पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस को टिकट दिया है। BJP के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान के पुत्र हर्षवर्धन सिंह चौहान इसका विरोध कर रहे हैं और निर्दलीय चुनाव लड़ने का एलान भी कर दिया है।

रीवा जिले के मनगवां विधानसभा से भाजपा विधायक पंचूलाल प्रजापति का टिकट कटने पर दर्द छलका और वे रो पड़े। पार्टी ने उनकी जगह नरेंद्र प्रजापति को अपना उम्मीदवार बनाया है। उन्होंने कहा कि पत्नी का टिकट भाजपा से भराएंगे और पार्टी अगर उनकी बातों पर विचार नहीं की तो निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे।

छतरपुर जिले के चंदला सीट पर भाजपा विधायक राजेश प्रजापति टिकट कटने के बाद वह रोने लगे। भाजपा ने विधायक राजेश प्रजापति की टिकट काटकर दिलीप अहिरवार को टिकट दिया है। सीहोर जिले की आष्टा विधानसभा सीट पर भाजपा की तरफ से घोषित किए गए उम्मीदवार गोपालसिंह का विरोध शुरू हो गया है। इसे लेकर आष्टा में भाजपा विधायक रघुनाथ सिंह मालवीय कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए होकर फूट-फूटकर रोने लगे।