आप (आम आदमी पार्टी) संयोजक अरविंद केजरीवाल ने लोकसभा चुनाव में ‘आप’ और कांग्रेस के बीच गठबंधन नहीं हो पाने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ट्विटर पर गठबंधन करने की कोशिश कर रहे थे।
कांग्रेस ने बदली शर्तें: अरविंद केजरीवाल ने बृहस्पतिवार (25 अप्रैल) को आप का घोषणापत्र जारी करते हुए कांग्रेस से गठबंधन नहीं हो पाने के बारे में कहा कि दिल्ली में गठबंधन के लिए आप ने हरसंभव कोशिश की लेकिन कांग्रेस के बार बार अपनी शर्तें बदलने से साबित हो गया कि उसकी मंशा गठबंधन करने की नहीं थी।
गुलाम नबी आजाद ने दी थी सहमति: आप प्रमुख ने बताया कि पिछले सप्ताह मंगलवार को कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने आप सांसद संजय सिंह से मुलाकात कर दिल्ली, हरियाणा और चंडीगढ़ की 18 सीटों पर गठबंधन के लिये सहमति दी थी। आजाद ने कहा था कि वह कांग्रेस नेतृत्व से मंजूरी लेकर बुधवार को संयुक्त रूप से गठबंधन की घोषणा कर देंगे।
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अगले ही दिन बदल लीं शर्तें: केजरीवाल ने कहा कि अगले ही दिन आजाद ने फोन कर अपनी शर्तें बदल कर सिर्फ दिल्ली में गठबंधन करने की बात कही। इससे साफ हो गया कि कांग्रेस गठबंधन करने की इच्छुक नहीं थी। केजरीवाल ने कहा कि राहुल गांधी ने पहले ट्विटर पर और फिर मीडिया में अंतिम क्षण तक गठबंधन के लिये तैयार रहने का बयान दिया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं राहुल गांधी से पूछना चाहता हूं कि ट्विटर और अखबारों की सुर्खियों के जरिये दुनिया का कौन सा गठबंधन हुआ है।’’ उन्होंने कहा कि इसका मतलब वह गठबंधन करना नहीं चाहते हैं, बल्कि दुनिया को दिखाना चाहते हैं कि वह गठबंधन के लिए इच्छुक थे। असल में उनकी मंशा गठबंधन करने की नहीं बल्कि भाजपा को मदद पहुंचाने की थी।
आप- कांग्रेस की सीटों का बंटवारा: केजरीवाल ने आप और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे के चार तीन के फार्मूले को भाजपा के लिए फायदेमंद बताते हुए दावा किया कि कांग्रेस जो तीन सीट मांग रही थी उन्हें देने पर वे तीनों सीटें भाजपा की झोली में जायेंगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को तीन सीट देकर भाजपा को तीन सीटें जीतने का मौका देने के बजाय आप अपने बलबूते, सातों सीट पर भाजपा को कड़ी चुनौती देकर हराना पसंद करेगी।

