मनोज कुमार मिश्र
सुप्रीम कोर्ट ने 21 मार्च, 2024 से गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए शर्तों के साथ अंतरिम जमानत दी। इससे दिल्ली में लोकसभा चुनाव प्रचार की दिशा बदली है। जिस तरह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने लोकसभा चुनाव की घोषणा के दौरान झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल को गिरफ्तार करके एक उदाहरण प्रस्तुत किया, उसी तरह से किसी नेता को केवल चुनाव प्रचार करने के लिए जमानत देकर सुप्रीम कोर्ट ने नया उदाहरण पेश किया।
केजरीवाल को अगस्त, 2022 को शराब घोटाला उजागर होने के करीब डेढ़ साल बाद गिरफ्तार किया गया। उनकी सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे मनीष सिसोदिया को लंबे समय से जेल में रहने के बावजूद जमानत नहीं मिल पाई है। केजरीवाल को केवल जमानत चुनाव प्रचार के लिए एक जून तक के लिए मिली है। वे वापस दो जून को समर्पण कर देंगे।
पहली बार कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) सीटों पर तालमेल करके चुनाव लड़ रही हैं। दिल्ली की सात सीटों में से चार पर आप और तीन पर कांग्रेस चुनाव लड़ रही है। माना जा रहा है कि चांदनी चौक के कांग्रेस उम्मीदवार जय प्रकाश अग्रवाल को तो कांग्रेस के संगठन का लाभ मिल रहा है लेकिन दिल्ली उत्तर पूर्व के उम्मीदवार कन्हैया कुमार और दिल्ली उत्तर पश्चिम के कांग्रेस उम्मीदवार उदित राज को ज्यादातर कांग्रेस नेताओं का समर्थन नहीं मिल रहा है।
उनको अपने लोगों और दूसरे राज्यों से आए कांग्रेस नेताओं से चुनाव प्रचार करवाना पड़ रहा है। इससे गठबंधन को भाजपा के मुकाबले खड़ा करने में कठिनाई आ रही है। पहले माना जा रहा था कि गठबंधन बनने से दिल्ली में कांग्रेस को अपनी खोई जमीन पाने में मदद मिलेगी, लेकिन तो हालात दिख रहे हैं उसमें तो यही लग रहा है कि कांग्रेस पूरी तरह से आप पर निर्भर हो गई है।
दिल्ली में अपनी खोई जमीन तलाशने के लिए ही कांग्रेस ने झुककर आप से समझौता किया और पंजाब में कोई सीट न छोड़ने पर केवल चंडीगढ़ की सीट से संतोष कर लिया और दिल्ली के बदले में हरियाणा में एक सीट और गुजरात में दो सीट आप के लिए छोड़ दी। अरविंद केजरीवाल केवल दिल्ली के मुख्यमंत्री या आप के संयोजक नहीं हैं, वास्तव में पार्टी केवल उनकी है। इसलिए आप के उन्हें जेल न जाने देने के लिए बड़े वकीलों की फौज खड़ी कर रखी थी।