Lok Sabha Election 2019: लोकसभा चुनाव जारी हैं और सभी राजनैतिक पार्टियां मतदाताओं को लुभाने का कोई प्रयास नहीं छोड़ना चाहतीं। इन्हीं कोशिशों के तहत केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी मंगलवार को दिल्ली के ईसाई समुदाय के विभिन्न चर्च के धर्मगुरुओं के साथ मुलाकात की। बता दें कि दिल्ली में ईसाई समुदाय के मतदाता अच्छी-खासी तादाद में हैं और कई सीटों पर निर्णायक भूमिका में हैं। अरुण जेटली और ईसाई धर्मगुरुओं की यह मुलाकात करीब 30 मिनट तक चली। इस मीटिंग में विभिन्न चर्च के 6 बिशप शामिल हुए।

गौरतलब है कि अरुण जेटली इससे पहले भी ईसाई समुदाय के नेताओं और धर्मगुरुओं से कई बार मुलाकात कर चुके हैं और बीते कई सालों में अरुण जेटली ने ईसाई समुदाय के धर्मगुरुओं के साथ अपने संबंधों को बेहतर बनाया है। इससे पहले जब विभिन्न चर्च पर हमले की खबरें सामने आयीं थी, तब अरुण जेटली ने ही ईसाई धर्मगुरुओं से मुलाकात कर उन्हें यह विश्वास दिलाया था कि यह हमले बहुसंख्यक आबादी द्वारा नहीं किए जा रहे हैं और इनके पीछे किसी तरह का राजनैतिक या सामाजिक एजेंडा नहीं है। अरुण जेटली ईसाई धर्मगुरुओं को यह विश्वास दिलाने में कामयाब रहे थे कि विभिन्न चर्च पर हमले सिर्फ कानून व्यवस्था की नाकामी का परिणाम है।

द इंडियन एक्सप्रेस में छपे कूमी कपूर के एक लेख के अनुसार, इस बैठक का उद्देश्य भाजपा और ईसाई समुदाय के संबंधों को मजबूत करना था। हालांकि अरुण जेटली और ईसाई धर्मगुरुओं की मीटिंग में जो एक बात गौर करने वाली रही, वो ये थी कि अहम चर्च रोमन कैथोलिक के प्रतिनिधि इस बैठक से नदारद रहे। ऐसी खबरें मिलीं कि रोमन कैथोलिक चर्च की कुछ अहम आंतरिक बैठकें चल रहीं थी, जिसके चलते इसके प्रतिनिधि इस बैठक में शामिल नहीं हुए।

उल्लेखनीय है कि बीते मार्च माह में द कैथोलिक बिशप कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (CBCI) ने भाजपा के राष्ट्रवाद के मुद्दे का मुखर विरोध किया था। CBCI ने अपने एक बयान में कहा था कि राष्ट्रवाद देश के हर नागरिक के खून में है, चाहे वो बहुसंख्यक हो या फिर अल्पसंख्यक। किसी को भी इस बारे में शक नहीं होना चाहिए। CBCI ने कहा कि किसी को भी अपना राष्ट्रवाद साबित करने की जरुरत नहीं है। हम सभी ने देश का आजादी, विकास और सामाजिक कल्याण में अपना योगदान दिया है।

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