Allahabad Lok Sabha Election 2024 Date, Candidate Name: लोकसभा चुनाव होने में अब कुछ ही महीने बाकी हैं। इसको लेकर सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपना चुनाव प्रचार तेज कर दिया है। इस बार समाजवादी पार्टी के साथ कांग्रेस का गठबंधन होने के बाद इलाहबाद संसदीय सीट कांग्रेस के खाते में आ गई है। इसके बाद यहां का समीकरण बदल गया है। कांग्रेस के कई नेता इस सीट से दावेदारी में जुट गए हैं। हालांकि, अभी तक कांग्रेस की तरफ से किसी भी प्रत्याशी का नाम घोषित नहीं किया गया है। वहीं वर्तमान में रीता बहुगुणा जोशी इलाहाबाद से बीजेपी की सांसद हैं, लेकिन इस बार रीता बहुगुणा जोशी के साथ नंद गोपाल नंदी और उनकी पत्नी अभिलाषा गुप्ता नंदी का भी नाम प्रत्याशी के दावेदार के रूप में आगे चल रहा है।
इलाहाबाद सीट को लेकर कांग्रेस की ओर से कई नामों की चर्चा हैं। इसमें इलाहाबाद सीट से सांसद रहे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के पुत्र अनिल शास्त्री और उनके पुत्र आदर्श शास्त्री का नाम भी शामिल है। हालांकि अनिल शास्त्री पूर्व में चुनाव लड़ने से मना कर चुके हैं, लेकिन पिछले दिनों राहुल गांधी की अगुवाई में प्रयागराज आई भारत जोड़ो न्याय यात्रा में अनिल और आदर्श शास्त्री शामिल हुए थे। ऐसे में इस चर्चा को और बल मिल रहा है।
इलाहाबाद लोकसभा चुनाव 2019 के चुनाव परिणाम-
प्रत्याशी | पार्टी | कुल वोट | वोट प्रतिशत |
रीता बहुगुणा जोशी | बीजेपी | 494454 | 55.58% |
राजेंद्र सिंह पटेल | सपा | 310179 | 34.87% |
योगेश शुक्ला | कांग्रेस | 31953 | 3.59% |
गिरिधर गोपाल त्रिपाठी | सीपीआई | 10403 | 1.17% |
लोकसभा चुनाव 2019 में इलाहबाद से भाजपा प्रत्याशी रीता बहुगुणा जोशी ने 494454 वोट पाकर जीत दर्ज की थी। यहां से सपा के राजेंद्र सिंह पटेल 310179 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे थे। वहीं कांग्रेस के योगेश शुक्ला 31953 वोट प्राप्त करके तीसरे स्थान पर रहे थे।
इलाहाबाद लोकसभा चुनाव 2014 के चुनाव परिणाम-
प्रत्याशी | पार्टी | कुल वोट | वोट प्रतिशत |
श्यामा चरण गुप्ता | बीजेपी | 313772 | 18.83% |
रेवती रमण सिंह | सपा | 251763 | 15.11% |
केशरी देवी | बसपा | 162073 | 9.73% |
नंद गोपाल नंदी | कांग्रेस | 102453 | 6.15% |
साल 2014 में भी इलाहाबाद लोकसभा सीट पर बीजेपी ने कब्जा जमाया था। यहां से बीजेपी के श्यामा चरण गुप्ता को 313772 वोट मिले थे। उन्होंने सपा प्रत्याशी रेवती रमण सिंह को 62009 मतों से हराया था। इस सीट पर 2014 में कुल 53.05 प्रतिशत वोट पड़े थे।
इलाहाबाद लोकसभा सीट का जातीय समीकरण-
जातीय समीकरण की अगर बात करें तो इलाहाबाद संसदीय सीट पर सवा लाख यादव, दो लाख मुस्लिम, दो लाख दस हजार कुर्मी, दो लाख 35 हजार ब्राह्मण, पचास हजार ठाकुर-भूमिहार, ढाई लाख दलित, एक लाख कोल, डेढ़ लाख वैश्य, 80 हजार मौर्या और कुशवाहा, चालीस हजार पाल, एक लाख 25 हजार निषाद बिंद, एक लाख विश्वकर्मा और प्रजापति व अन्य वोटर हैं।
2011 की जनगणना के अनुसार जानिए जिले की आबादी
प्रयागराज प्रदेश का सर्वाधिक आबादी वाला जिला है। साल 2011 की जनगणना के अनुसार, जिले की कुल जनसंख्या 59,54,390 है। जिले में जनसंख्या घनत्व 1,086 निवासी प्रति वर्ग किलोमीटर है। 2001-2011 के दशक में यहां जनसंख्या वृद्धि दर 20.6 प्रतिशत रही। लिंगानुपात 1000: 901 है। साक्षरता दर 72.3 प्रतिशत है। जिले में कुल 12 विधानसभा सीटें हैं। यह फूलपुर और इलाहाबाद के अलावा भदोही संसदीय सीट का हिस्सा हैं।
इलाहाबाद लोकसभा सीट का इतिहास
इलाहाबाद लोकसभा सीट को लेकर इतिहास की बात करें तो इस सीट ने देश को बड़ी राजनीतिक शख्सियतें दी हैं। देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री, वीपी सिंह, मुरली मनोहर जोशी, जनेश्वर जैसे राजनीतिक दिग्गज यहां से चुनाव जीते। हेमवती नंदन बहुगुणा जैसे दिग्गज को हराकर अमिताभ बच्चन भी यहां के सांसद रहे।
इस सीट से पहले सांसद श्रीप्रकाश स्वतंत्रता सेनानी थे और कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे। उनके बाद लाल बहादुर शास्त्री 1957 में यहां से सांसद चुने गए। 1973 में भारतीय क्रांति दल के जनेश्वर मिश्रा को जनता ने चुना। 1984 में अमिताभ बच्चन कांग्रेस की टिकट पर सांसद चुने।
1988 के उपचुनाव में वीपी सिंह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विजयी हुए। 1998, 2004 और 2009 में मुरली मनोहर जोशी ने फतह हासिल की। 2004 में सपा के रेवती रमण सिंह यहां से चुने गए। 2014 में मोदी लहर में यह सीट बीजेपी के खाते में चली गई, तब से इस सीट पर भारतयी जनता पार्टी का कब्जा है।
मुरली मनोहर जोशी तीन बार इस सीट से सांसद रहे
बता दें, मुरली मनोहर जोशी तीन बार इस सीट से सांसद रहे। दो बार लाल बहादुर शास्त्री और दो बार कुंवर रेवतीरमण सिंह सांसद चुने गए। साल 1988 में हुए उपचुनाव में विश्वनाथ प्रताप सिंह ने कांग्रेस के सुनील शास्त्री को हराया और बसपा संस्थापक कांशीराम को तीसरे नंबर पर संतोष करना पड़ा था।