Lok Sabha Election 2019: उत्तर बंगाल की कई सीटों पर लोकसभा चुनाव इस बार काफी दिलचस्प नजर आ रहा है। चाय बागानों से घिरे इस इलाके में पहली बार चुनावी मौसम कड़क हुआ है। इस बार भारतीय जनता पार्टी के मजबूती से मैदान में आने के कारण कई सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है तो कहीं स्थानों पर बीजेपी सीधे मुकाबले में है। इसी में से एक सीट है अलीपुरदुआर, जहां इस बार टीएमसी और बीजेपी में सीधे लड़ाई है।

टीएमसी से सीधे लड़ाईः यहां मतदाताओं की संख्या लगभग 16,42,285 है। इस सीट पर मुख्य मुकाबला भाजपा के जॉन बारला और तृणमूल कांग्रेस के दशरथ तिरके के बीच है। यदि आंकड़ों की बात करें तो तिरके गत पंचायत चुनाव में तिरके की पार्टी का प्रत्याशी उनके ही बूथ पर हार गया था। दशरथ तिरके कुमारग्राम विधानसभा सीट से आरएसपी के टिकट पर तीन बार विधानसभा चुनाव चुके हैं। 2014 में लोकसभा चुनाव के पहले वे आरएसपी का दामन छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए थे। इस सीट से पार्टी के उम्मीदवार भी बने। जीत कर लोकसभा पहुंचे भी। स्थानीय लोगों का आरोप है कि चुनाव जीतने के बाद वे इलाके में नाममात्र का ही समय देते थे। अलीपुरदुआर सीट पर इस बार सत्ता विरोधी हवा है और सामने जॉन बारला जैसा जमीनी कद्दावर, लोकप्रिय नेता प्रतिद्वंद्वी।

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बारला से बीजेपी को क्यों है उम्मीदः बीजेपी ने इस बार यहां से जॉन बारला को उम्मीदवार बनाकर लोकल सेंटिमेंट भुनाने पर जोर दिया है। चाय बागान बहुल वाले इस लोकसभा क्षेत्र में बारला को लोग जमीनी नेता के तौर पर देखते हैं। एक वक्त में बारला चाय बागानों में मजदूरी भी कर चुके हैं। जॉन बारला की पहचान सिर्फ भाजपा प्रत्याशी तथा श्रमिक नेता की ही नहीं है। एक फुटबॉलर, और आदिवासी विकास परिषद के नेता के रूप में भी लोग जानते हैं। अब वे अपनी पहचान चाय बागान के श्रमिक के रूप में देना अधिक पसंद करते हैं। श्रमिकों के हित के लिए ही भविष्य में काम करने की चाहत भी है। जॉन का रहन-सहन और व्यवहार ही लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता को धार देता है। अलीपुरदुआर लोकसभा सीट पर इस बार 8 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं लेकिन एकमात्र जॉन ही चाय बागान श्रमिक नेता हैं। जॉन की बांग्ला के अलावा हिन्दी और नेपाली भाषा पर भी अच्छी पकड़ है। घर में बीमार पत्नी और एक बेटा है जो ग्यारहवीं का छात्र है।

अलीपुरदुआर अहम क्यों? भाजपा की उत्तर बंगाल की जिन 8 सीटों पर नजर है, उसमें अलीपुरदुआर सबसे अहम है। कूचबिहार के तूफानगंज, जलपाईगुड़ी, नागराकाटा तथा अलीपुरदुआर जिले के कुमारग्राम, कालचीनी, अलीपुरदुआर, फालाकाटा और मदारीहाट- इन सात विधानसभाओं को मिलाकर बना है अलीपुरदुआर लोकसासीट।

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लगातार रैलियां कर रही हैं ममता: इस सीट प्रथम चरण में अर्थात 11 अप्रैल को मतदान है। सभी दल इस इलाके में अपना चुनाव प्रचार जोरशोर से कर रहे हैं। प्रमुख तौर पर भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के सभी बड़े नेता अपने प्रत्याशी को जीताने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे है। भाजपा स्टार प्रचारक पीएम नरेंद्र मोदी ने 3 अप्रैल को बंगाल में दो रैलियों को संबोधित किया था जिसमें एक रैली उत्तर बंगाल में थी। वे 7 अप्रैल को फिर उत्तर बंगाल के दौरे पर आ रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख तथा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 3 अप्रैल से ही उत्तर बंगाल में ही डेरा जमाये हुए हैं। लगातार रैलियां कर रही हैं। वे 12 अप्रैल को कोलकाता लौटेंगी।

2014 का चुनाव परिणाम: 2014 के आम चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के दशरथ तिरके को 3,62,453 (29.46 फीसदी) वोट मिले थे। 3,41,056 (27.72 फीसदी) वोट पाकर आरएसपी के मनोहर तिरके दूसरे स्थान पर रहे थे। उस चुनाव में भाजपा में वीरेंद्र बरा उराव को टिकट दिया था, उन्हें 3,35857 (27.30 फीसदी) वोट मिले थे। इस बार भाजपा ने अपने लोकप्रिय चेहरे को उतार कर चुनावी जंग को नया रंग दे दिया है।

लगातार रैलियां कर रही हैं ममता: इस सीट प्रथम चरण में अर्थात 11 अप्रैल को मतदान है। सभी दल इस इलाके में अपना चुनाव प्रचार जोरशोर से कर रहे हैं। प्रमुख तौर पर भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के सभी बड़े नेता अपने प्रत्याशी को जीताने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे है। भाजपा स्टार प्रचारक पीएम नरेंद्र मोदी ने 3 अप्रैल को बंगाल में दो रैलियों को संबोधित किया था जिसमें एक रैली उत्तर बंगाल में थी। 7 अप्रैल को भी उन्होंने उत्तर बंगाल में एक रैली की। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख तथा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 3 अप्रैल से ही उत्तर बंगाल में ही डेरा जमाये हुए हैं। लगातार रैलियां कर रही हैं। वे 12 अप्रैल को कोलकाता लौटेंगी। (बंगाल से पूनम चौधरी की रिपोर्ट)