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Akkalkuwa Election Results 2019: महाराष्‍ट्र व‍िधानसभा में 288 सीटें हैं।

Akkalkuwa (Maharashtra) Assembly Election/Chunav Results 2019 Live News Updates: Akkalkuwa Assembly Constituency से 2014 में INC के Padavi Adv. K.C. चुनाव जीते थे| उन्‍होंने NCP के Paradake Vijaysing Rupsing को हराया था| बता दें क‍ि महाराष्‍ट्र में 36 ज‍िले हैं। ये ज‍िले छह ड‍िव‍िजंस में रखे गए हैं। राज्‍य मेंं 109 सब-ड‍िव‍िजन और 358 तालुका हैं। व‍िधानसभा सीटों की संख्‍या 288 है।

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राज्‍य में चार प्रमुख पार्ट‍ियां हैं- बीजेपी, श‍िवसेना, कांग्रेस और राष्‍ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी)। 2014 में कांग्रेस ने सबसे ज्‍यादा सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेक‍िन उसके सबसे कम व‍िधायक जीते। कांग्रेस 287 सीटों पर लड़ी थी। उसे केवल 42 पर जीत म‍िली। बीजेपी का प्रदर्शन सबसे शानदार रहा था। पार्टी ने 260 सीटें लड़ कर 122 जीतीं। उसकी सहयोगी श‍िव सेना 282 सीटों पर लड़ी, लेक‍िन जीत पाई केवल 63। एनसीपी 278 सीटों पर लड़ी थी। उसे 41 पर जीत म‍िली थी।

चार बड़ी पार्ट‍ियों के अलावा आठ पार्टि‍यों को कुल 13 सीटें म‍िली थीं, जबक‍ि सात सीटों पर न‍िर्दलीय उम्‍मीदवार जीते थे। राज ठाकरे की महाराष्‍ट्र नवन‍िर्माण सेना (एमएनएस) का हाल सबसे बुरा था। एमएनएस ने 220 सीटों पर उम्‍मीदवार उतारे थे, लेक‍िन केवल एक ही जीत सका था।

शिव सेना को भले ही दमदार जीत नहीं म‍िली थी, लेक‍िन वह पूरे पांच साल बीजेपी से तकरार ही करती रही। बीजेपी और श‍िवसेना ने जैसे-तैसे, खींचतान के साथ ही राज्य में गठबंधन की सरकार चलाई है। लेक‍िन, श‍िवसेना अकेले लड़ने का जोख‍िम नहीं ले सकी। गठबंधन जैसे-तैसे ही फिर से परवान चढ़ा। लेक‍िन, श‍िवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के तेवर कायम रहे। उन्‍होंने अपने बेटे आद‍ित्‍य ठाकरे को मैदान में उतारा और सीएम उम्‍मीदवार प्रोजेेेेक्‍ट कर चुनाव अभ‍ियान चलाया।

महराष्‍ट्र की राजनीत‍ि को क्षेत्रवार देखें तो राज्‍य में छह क्षेत्र हैं- पश्‍च‍िमी महाराष्‍ट्र, व‍िदर्भ, मराठवाड़ा, कोंकण, मुंबई, उत्‍तर महाराष्‍ट्र। कोंकण में 2014 में श‍िव सेना अपनी सहयोगी बीजेपी पर भारी रही थी। इस क्षेत्र में उसके 14 व‍िधायक बने थे, जबक‍ि बीजेपी के सात। मुंबई में दोनों लगभग बराबर रही थीं। बीजेपी 15 और श‍िवसेना 14। सबसे बड़ा अंतर व‍िदर्भ में रहा, जहां बीजेपी को 44 सीटें म‍िली थीं, जबक‍ि श‍िवसेना केवल चार जीतने में कामयाब हो पाई थी। कांग्रेस पश्‍च‍िम महाराष्‍ट्र और व‍िदर्भ में 10-10 सीटें जीती थी, जबक‍ि मराठवाड़ा में नौ, कोंकण में एक, मुंबई में पांच और उत्‍तर महाराष्‍ट्र में सात सीटें हास‍िल कर सकी थी। एनसीपी ने सबसे ज्‍यादा 19 सीटें पश्‍च‍िम महाराष्‍ट्र में जीती थीं।

चुनाव से पहले के राष्‍ट्रीय पर‍िदृश्‍य की बात करें तो तो राष्ट्रवाद, राष्ट्रीय सुरक्षा और अनुच्छेद 370 हटाने जैसे मुद्दे पर बीजेपी अधिकांश दलों को अपने पक्ष में साधने में कामयाब रही। राष्ट्रीय सुरक्षा और खासकर कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाकर बीजेपी ने कहीं न कहीं शिवसेना को भी साथ अड़े रहने पर मजबूर कर दिया। जबकि, दूसरी तरफ दोनों सहयोगी दलों ने पूरे चुनाव में कांग्रेस समेत अन्य दलों को इन्हीं मुद्दों के ईर्द-गिर्द रखे रहा। जबकि, राज्य में सूखा, बाढ़ और किसानों की दयनीय हालत की समस्या हर मंच से उठाई जा रही थी। लेकिन, राष्ट्रवाद का मुद्दा हर जगह छाया रहा।

राष्ट्रवाद और मोदी सरकार की घरेलू नीतियों का ही असर था कि चुनाव से पहले ही शिवेंद्र सिंह भोसले, संदीप नाइक और वैभव पिचाड़ा जैसे विधायक बीजेपी में शामिल हो गए। लोकसभा चुनाव नतीजाें के बाद जून महीने में कांग्रेस के कद्दावर नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल ने भी बीजेपी का दामन थाम लिया और तब उन्हें बीजेपी ने मंत्री पद भी दे दिया। इनके अलावा कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं की फेहरिस्त भी काफी लंबी है।

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