2019 के लोकसभा चुनाव के बाद हुए राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा का वोट प्रतिशत घटा है। आंकड़ों के अनुसार 2019 में हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को करीब 37 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि लोकसभा चुनाव में करीब 58% वोट मिले थे। 2020 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा को सिर्फ 39% वोट मिले, वहीं लोकसभा में 57% वोट प्राप्त हुए थे।
पिछले साल हुए पश्चिम बंगाल और असम विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के वोट प्रतिशत में कमी आई थी। पश्चिम बंगाल में भाजपा को 39% वोट मिले थे और असम में 33% वोट मिले थे। जबकि इस दोनों राज्यों में 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा का वोट प्रतिशत 41 और 36 था। हालांकि 2017 के उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में भी भाजपा का वोट प्रतिशत 2014 के लोकसभा चुनाव की तुलना में कम था।
उत्तरप्रदेश सहित पांच राज्यों में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव को प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के लिए लोकसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है। वहीं कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी के लिए भी यह चुनाव काफी अहम है। इसके अलावा सपा, बसपा और आम आदमी पार्टी जैसे क्षेत्रीय दलों के लिए भी आगामी विधानसभा चुनाव काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
कोरोना, किसान आंदोलन, महंगाई और बेरोजगारी को लेकर भाजपा सरकार पर हमलावर विपक्ष को इन चुनावों से पता चल जाएगा कि उनके प्रदर्शनों ने लोगों पर क्या असर डाला है और मोदी की लोकप्रियता को कितना नुकसान हुआ है। इतना ही नहीं इन चुनावों से कांग्रेस की आतंरिक राजनीति पर भी असर पड़ेगा क्योंकि इसी साल कांग्रेस का नया अध्यक्ष चुना जाना है।
इतना ही नहीं यह चुनाव कांग्रेस के लिए इसलिए भी अहम है क्योंकि मोदी के पीएम बनने के बाद से कांग्रेस सिर्फ पांच राज्यों में सरकार बना पाई है। हालांकि 2018 में मध्यप्रदेश में सरकार बनाने के करीब डेढ़ साल बाद ही वह सत्ता से बेदखल हो गई। जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने को हैं वहां भी कांग्रेस की स्थिति ज्यादा ठीक नहीं है। पंजाब में सत्ता होने के बावजूद वहां के नेता एक दूसरे के खिलाफ गुटबाजी में लगे हुए हैं।

गोवा में टीएमसी और आप लगातार कांग्रेस में सेंध लगा रही है और मणिपुर में भी स्थिति कुछ ठीक नहीं है। जबकि उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनने को लेकर ही वहां के नेताओं में होड़ लगी हुई है। उत्तरप्रदेश में पिछले विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना करने के बाद इस बार प्रियंका गांधी राज्य में पार्टी का प्रमुख चेहरा बनी हुई हैं। पिछले दिनों प्रियंका गांधी ने लड़की हूं लड़ सकती हूं कार्यक्रम भी लांच किया है लेकिन अभी भी कांग्रेस मजबूत स्थिति में नहीं दिखाई दे रही है।
इसके अलावा सपा, बसपा, आप और तृणमूल जैसे क्षेत्रीय दल भी इस बार के विधानसभा चुनावों में अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज कराने की कोशिश में जुटे हुए हैं। आप इस बार पंजाब, उत्तराखंड, गोवा में चुनाव लड़ रही है। हालांकि पिछले बार के पंजाब विधानसभा चुनाव में आप ने 20 सीटें जीती थी। इसलिए आप इस बार पंजाब में अपना पूरा जोर लगा रही है। इसके अलावा गोवा और उत्तराखंड में भी उनके प्रमुख नेताओं के लगातार दौरे हो रहे हैं। इसी तरह पिछले साल पश्चिम बंगाल विधानसभा का चुनाव जीतने के बाद से ही तृणमूल कांग्रेस के हौंसलें बढे हुए हैं और पार्टी ने गोवा विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी ताकत झोंक दी है।
अगर अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी की बात करें तो इस बार का उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव उनके लिए काफी अलग होगा। क्योंकि इस बार मुलायम सिंह यादव सक्रिय नहीं हैं। सपा ने इसबार के चुनाव के लिए जयंत चौधरी के रालोद से गठबंधन किया है। पिछली बार सपा ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था। इस बार का चुनाव मायावती की बसपा के लिए भी काफी अहम है क्योंकि मायावती को पिछले चुनाव में सिर्फ 19 सीटें मिली थी। इसलिए बसपा इस बार कमबैक करने की कोशिश करेगी। हालांकि बसपा पंजाब में अकाली दल के साथ मिलकर भी विधानसभा चुनाव लड़ रही है।
