Lok Sabha Election 2019: लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने इस बार गांधीनगर से वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को टिकट नहीं दिया। इसके बाद से ही राजनीतिक गलियारे में बीजेपी निशाने पर है। कई राजनीतिक विशेषज्ञों और विपक्ष के नेताओं का कहना है कि नरेंद्र मोदी-अमित शाह की बीजेपी में आडवाणी को कोई इज्जत नहीं है। कहीं कहा जा रहा है कि आडवाणी को उनकी उम्र के कारण इस बार पार्टी ने चुनावी राजनीति से दूर रखने का फैसला लिया है। बता दें कि लाल कृष्ण आडवाणी की उम्र 91 साल हो गई है। पहली बार नहीं है जब आडवाणी को उम्र चर्चा में आई है। इससे पहले एक बार पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने भी उनपर निशाना साधा था।
आडवाणी को पहले ही संन्यास ले लेना चाहिए थाः सियासी गलियारों में चर्चा है कि आडवाणी को अपने आगे आते हुए पहले ही संन्यास ले लेना चाहिए थे। कई राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि 2009 लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद आडवाणी को सक्रिय राजनीति से दूरी बना लेनी चाहिए थी। बता दें कि यूपीए 2 की वापसी के बाद भी आडवाणी बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व में रहे और 2014 में भी पीएम पद के दावेदार थे। इसके खातिर 2013 में नरेंद्र मोदी को जब गोवा में बीजेपी अपना पीएम कैंडिडेट बना रही थी तो आडवाणी और उनके करीबी नेताओं ने इसका विरोध भी किया था। बता दें कि 2004 और 2009 लोकसभा चुनाव बीजेपी ने आडवाणी के नेतृत्व में ही लड़ा था।
2008 में न्यूक्लियर डील के वक्त पीएम मनमोहन सिंह कई बार विपक्षियों के निशाने पर थे। इसी दौरान विपक्ष के सबसे बड़े नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने उन पर कमेंट करते हुए उन्हें ‘निक्कमा पीएम’ करार दिया था, जिसका मनमोहन सिंह ने भी करारा जवाब दिया था। उन्होंने आडवाणी की पीएम बनने की उम्मीद और उम्र को निशाना बनाते हुए कहा था- उनकी (उस वक्त आडवाणी की आयु 81 साल थी) उम्र को देखते हुए यह उम्मीद नहीं की जा सकती है कि आडवाणी अपनी सोच बदलें। पर उन्हें अपने और भारत के हित में अपना एस्ट्रोलॉजर जरूर बदल लेना चाहिए, ताकि वो उन्हें सही भविष्यवाणी के बारे में पता चल सके। बता दें कि मीडिया में ऐसी खबरें थीं कि एक ज्योतिषी ने भविष्यवाणी की थी कि आडवाणी पीएम जरूर बनेंगे।
आडवाणी के बदले अमित शाहः इस बार बीजेपी ने गुजरात के गांधीनगर से लाल कृष्ण आडवाणी के बदले अमित शाह को टिकट दिया है। अमित शाह बीजेपी के अध्यक्ष हैं और फिलहाल राज्यसभा से सांसद भी हैं।