लोकसभा चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन एक बार फिर राह पर आता दिख रहा है। उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस के बीच सहमति के बाद अब दिल्ली से खबर है कि यहां 7 लोकसभा सीटों पर बंटवारे को लेकर सहमति हो गई है। सूत्रों के मुताबिक तय हुआ है कि आम आदमी पार्टी 4 और कांग्रेस 3 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
पिछले दिनों आप के एक प्रवक्ता ने बयान दिया था कि कांग्रेस की योग्यता के हिसाब से तो 1 ही सीट बनती है लेकिन हम गठबंधन के धर्म का ख्याल रखेंगे। अब सवाल यह है कि आम आदमी पार्टी किस आधार पर कांग्रेस को 3 सीटें देने के लिए तैयार हो गई?
कांग्रेस पूर्वी दिल्ली, उत्तर-पूर्वी दिल्ली और चांदनी चौक से चुनाव लड़ेगी तो और आम आदमी पार्टी पश्चिमी दिल्ली, दक्षिणी दिल्ली, नई दिल्ली और दक्षिणी पश्चिमी सीट अपनी किस्मत आजमाएगी।
क्या सहमति हुई है?
राजनीति में कुछ बिना वजह नहीं होता है। आम चुनाव काफी नजदीक है और किसी भी सियासी दल के मन में अपने हिस्से की सीटें दूसरे दल को दे देने की बात नहीं आ सकती। अगर बात की जाए दिल्ली की 7 सीटों की तो साफ है कि यहां आम आदमी पार्टी कांग्रेस के मुकाबले काफी मजबूत है लेकिन फिर भी आप ने कांग्रेस को तीन सीटें लड़ने के लिए दे दी हैं। ऐसा क्यों? असल में इसके पीछे वजह है आप की कांग्रेस के साथ दूसरे राज्यों में हुई सहमति। ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस आम आदमी पार्टी के लिए गुजरात में दो सीटें छोड़ने वाली है।
क्या पंजाब के लिए भी खुलेगी राह?
अब सवाल यह भी है कि दिल्ली में बनी सहमति पंजाब के लिए गठबंधन की राह कैसे आसान करेगी? क्योंकि पंजाब में फिलहाल आप सरकार है और कांग्रेस भी राज्य में मजबूत स्थिति में है, ऐसे में दोनों दलों के लिए पंजाब पर सहमति बनाना बहुत आसान नजर नहीं आता है। पिछले दिनों दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी एक बयान देते हुए कहा था कि पंजाब की सभी 13 सीटों पर आम आदमी पार्टी ही चुनाव लड़ेगी।