Jatin Anand

पिछले दो लोकसभा चुनावों में दिल्ली की सभी सातों सीटों पर हार के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस ने गठबंधन किया है। इस गठबंधन में उन पहलुओं पर जोर दिया गया है जो मतदाताओं को प्रभावित कर सकते हैं।

AAP के एक नेता ने कहा, “जब हमने अलग से चुनाव लड़ा, तो हमने स्थिति को भाजपा के लिए और अधिक अनुकूल बना दिया। त्रिकोणीय मुकाबले में भाजपा को हिंदुत्व या राष्ट्रवाद के दम पर लोगों का समर्थन मिला और गैर बीजेपी वोट AAP और कांग्रेस के बीच विभाजित हो गया। हालांकि इस बार ऐसा नहीं होगा क्योंकि दोनों पार्टियाँ एक दशक से सत्ता विरोधी लहर झेल रहे एक आम दुश्मन के खिलाफ मिलकर लड़ रही हैं।”

सूत्रों के मुताबिक AAP ने वो चार सीटें लीं, जिनपर वो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता के नाम पर वोट मांग सकें। वहीं कांग्रेस ने उन तीन सीटों को चुना जिनपर वह अल्पसंख्यकों और आरक्षित वर्ग का समर्थन हासिल कर सकें।

आप के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “कांग्रेस ने शुरू में 2019 के लोकसभा चुनावों में अपने वोट शेयर के आधार पर हमारे सामने पांच-दो सीटों के बंटवारे का प्रस्ताव रखा था, जिसमें वह पांच सीटों पर दूसरे स्थान पर रही और आप दो सीटों पर दूसरे स्थान पर रही। हमारा जवाब यह था कि AAP ने पांच वर्षों में दिल्ली में शानदार बहुमत (70 में से 63 सीटें जीतकर) के साथ सरकार बनाई है और दिल्ली नगर निगम में भी जीत हासिल करने में भी सक्षम रही है। इससे साबित होता है कि दिल्ली में 2019 के बाद से हमारी लोकप्रियता बढ़ी है और हमारा लोकसभा वोट शेयर एक आधार नहीं होना चाहिए।”

योगी फैक्टर

कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार AAP शुरू से ही गठबंधन के पक्ष में थी। बस उन सीटों को लेकर मतभेद थे जिन पर कांग्रेस दावा कर रही थी। तीन सीटें जिनपर विवाद था उनमे नॉर्थ ईस्ट, चांदनी चौक और ईस्ट दिल्ली शामिल है। लेकिन कांग्रेस को यह स्वीकार नहीं था क्योंकि उत्तर पूर्व और पूर्वी दिल्ली की सीमा उत्तर प्रदेश से लगती है। एक कांग्रेस नेता ने कहा कि इनमें से एक को तो मैनेज किया जा सकेगा, लेकिन दोनों को नहीं।

पार्टी पदाधिकारी ने कहा, “हमारे जमीनी सर्वे और 2019 के लोकसभा, 2020 के दिल्ली विधानसभा और 2022 के एमसीडी चुनावों में हमारे प्रदर्शन के विश्लेषण के अलावा, हमें पता चला कि उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ की एक रैली उत्तर पूर्व और पूर्वी दिल्ली में ध्रुवीकरण को गति देने के लिए पर्याप्त थी।” आप और कांग्रेस दोनों के अंदरूनी सूत्रों ने स्वीकार किया कि उत्तर पूर्वी दिल्ली का समीकरण उतना ही ख़राब है जितना गुजरात के भरूच का है।