लोकसभा चुनाव 2019 के मद्देनजर सपा-बसपा गठबंधन ने गुरुवार को यूपी में सीटों का बंटवारा कर दिया। इसके तहत बीएसपी के खाते में 38 सीटें गई हैं तो सपा को 37 लोकसभा सीटें मिली हैं। गौरतलब है कि बीजेपी के मजबूत किले के रूप में माने जाने वाले कानपुर बुंदेलखंड की 10 लोकसभा सीटों में 5 पर सपा और 5 पर बसपा चुनाव लड़ेगी। 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां की 10 लोकसभा सीटों में से 9 पर बीजेपी ने कब्जा जमाया था। सपा एकमात्र कन्नौज की सीट ही बचा पाई थी। हालांकि इस बार सपा-बसपा गठबंधन के आधी-आधी सीटों पर मिलकर चुनाव लड़ने के ऐलान को बीजेपी के इस मजबूत किले को भेदने के लिए दोनों पार्टियों की तैयारियों के तौर पर देखा जा रहा है।
कानपुर-बुंदेलखंड में बसपा को मिलीं इतनी सीटें : कानपुर-बुंदेलखंड की 10 में 5 सीटें बीएसपी के खाते में आईं है। इनमें अकबरपुर, जालौन, मिश्रिख, हमीरपुर, फर्रुखाबाद की लोकसभा सीटें शामिल हैं। बता दें कि इनमें ज्यादातर वे सीटें हैं, जिनमें बीएसपी 2014 के लोकसभा चुनावों में दूसरे नंबर पर रही थी।
सपा यहां ठोंक रही दावेदारी : बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में कानपुर-बुंदेलखंड की 10 सीटों में से सपा को सिर्फ कन्नौज लोकसभा सीट पर जीत हासिल हुई थी। कन्नौज से अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव सांसद हैं। सीट बंटवारे के तहत सपा के खाते में इटावा, कन्नौज, कानपुर, झांसी और बांदा लोकसभा सीट आई हैं। बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव में सपा का कानपुर और बांदा में प्रदर्शन काफी खराब रहा था। वह यहां तीसरे नंबर पर थी। इस बार गठबंधन के साथ मैदान में उतरने के चलते सपा इन सीटों से जीत के दावे कर रही है।
कानपुर-बुंदेलखंड क्यों है बीजेपी का मजबूत किला : बीजेपी ने कानपुर-बुंदेलखंड की 10 में 9 सीटें 2014 के लोकसभा चुनाव में फतह की थीं। वहीं, 2017 के विधानसभा के चुनावों में भी पार्टी ने शानदार प्रदर्शन दोहराते हुए यहां की 52 विधानसभा सीटों में से 47 पर जीत दर्ज की थी। अपने इस किले को मजबूत बनाने के लिए पार्टी लगातार घेराबंदी भी कर रही है। हाल ही में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कानपुर से एक बड़ी रैली करके इसका संकेत भी दिया था।
कांग्रेस ने भी कसी कमर : बता दें कि प्रियंका गांधी को पूर्वी यूपी की कमान सौंपने के बाद कांग्रेस ने भी कानपुर-बुंदेलखंड की 10 लोकसभा सीटों पर नजर बना रखी है। गौरतलब है कि कभी यह क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। कानपुर से कांग्रेस के श्रीप्रकाश जायसवाल 2014 से पहले लगातार तीन बार सांसद रहे हैं। इसके मद्देनजर कांग्रेस ने यहां की सीटों की जिम्मेदारी प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया को सौंपी है।
प्रियंका-सिंधिया के जिम्मे इतनी सीटें : बता दें कि कानपुर-बुंदेलखंड की झांसी, हमीरपुर, बांदा, जालौन की लोकसभा सीटों की जिम्मेदारी प्रियंका गांधी को मिली हैं। वहीं, कानपुर, अकबरपुर, कन्नौज, फर्रुखाबाद, इटावा, मिश्रिख लोकसभा सीटों की जिम्मेदारी ज्योतिरादित्य सिंधिया को सौंपी गई है। गौरतलब है कि 2009 की मनमोहन सरकार में कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र से तीन केंद्रीय मंत्री बनाए गए थे। इनमें झांसी से आदित्य जैन, फर्रुखाबाद से सलमान खुर्शीद और कानपुर से श्रीप्रकाश जायसवाल शामिल थे।
