2019 Lok Sabha Election से पहले एक बार फिर उत्तर प्रदेश हर बार की तरह सियासी दलों की रणनीति के केंद्र में है। 2014 के चुनाव में बीजेपी ने राज्य की 71 सीटों पर जीत दर्ज की थी। फिलहाल 80 में से 68 सांसद बीजेपी के हैं। पार्टी की रणनीति के तहत एंटी इनकमबेंसी के मुकाबले के लिए इनमें से आधे से ज्यादा सांसदों के टिकट काटे जा सकते हैं या उन्हें नई सीट से उतारा जा सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस रणनीति को बीजेपी नेता गुजरात मॉडल बता रहे हैं।
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक पार्टी के एक नेता ने कहा, ‘गुजरात में मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी ने उन सीटों के प्रत्याशी बदल दिए थे जिन पर सर्वे रिपोर्ट में नकारात्मक परिणाम सामने आ रहे थे या जिनकी परफॉर्मेंस सही नहीं थी।’ हाल ही में हुए ‘शू फाइट’ केस से भी पार्टी के सीनियर नेता नाराज बताए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि इस घटना के बाद संत कबीर नगर के सांसद शरद त्रिपाठी को हटाने के लिए टिकट के दावेदार बढ़ गए हैं। बता दें कि इस प्रकरण के बाद यूपी बीजेपी के अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय से मिलकर त्रिपाठी पहले ही अपना पक्ष रख चुके हैं।
सेंटर फॉर ऑब्जेक्टिव रिसर्च एंड डेवलपमेंट के अतहर हुसैन के मुताबिक, ‘2014 के मुकाबले बीजेपी के टिकट की मांग कमजोर है लेकिन अभी भी दावेदारों की संख्या कम नहीं है। सपा-बसपा-आरएलडी के एक साथ आने से जातिगत समीकरण गठबंधन के पक्ष में दिख रहे हैं। कांग्रेस भी गठबंधन के संपर्क में है। ऐसे में बीजेपी के टिकट पर जीत की संभावना पहले से काफी कम है लेकिन फिर बीजेपी भी गठबंधन की जोड़तोड़ में लगी है ऐसे में अंतिम दौर में हवा फिर बदल सकती है।’