शिक्षा विभाग में उपप्रधानाचार्य के पद रिक्त होने के बाद भी यूपीएससी परीक्षा पास करने वाले 122 शिक्षक अभी नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं। नियमानुसार तीन महीने के अंदर इनकी नियुक्ति की जानी चाहिए थी। जबकि एक अप्रैल से शैक्षणिक सत्र शुरू हो चुका है बावजूद इसके अभी तक उपप्रधानाचार्य पदों पर नियुक्ति नहीं की गई है।
वर्ष 2022 में UPSC से सीधी भर्ती हेतु विज्ञापन निकाला गया था
वर्ष 2022 में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के माध्यम से सीधी भर्ती हेतु विज्ञापन निकाला गया था। इसका अंतिम परिणाम जनवरी 2024 में घोषित किया गया। दो चरणों में संपन्न इस परीक्षा, जिसमें साक्षात्कार भी शामिल था, इसका परिणाम पहले ही देरी से घोषित किया गया। इस प्रतियोगी परीक्षा में दिल्ली के शिक्षा विभाग को 122 उप प्रधानाचार्य मिले थे। लेकिन, विभागीय उदासीनता के चलते अभी तक इनकी नियुक्ति नहीं हो पाई है।
दिल्ली में 2023 में प्रधानाचार्यों की नियुक्ति समय से हुई थी
इस संदर्भ में स्पष्ट नियम है की चुनाव की आदर्श आचार संहिता लागू होने के उपरांत भी यूपीएससी से प्राप्त अनुशंसाओं को निर्बाध रूप से लागू कर शीघ्र से शीघ्र नियुक्ति प्रदान की जा सकती है। बावजूद इसके अभी तक उपप्रधानाचार्य पद पर नियुक्ति नहीं की गई, जबकि यूपीएससी से अनुशंसित प्रधानाचार्यों की नियुक्ति वर्ष 2023 में समयबद्ध रूप से हुई थी। बता दें कि उपप्रधानाचार्य के पदों के लिए कुल 7367 लोग परीक्षा में बैठे थे, जिनमें से उत्तीर्ण होने के बाद 438 लोगों की स्क्रूटनिंग की गई और 373 को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया और 122 शिक्षकों ने परीक्षा उत्तीर्ण की थी।
परीक्षा के प्रारूप में बदलाव की घोषणा करने वाले केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के अधिकारियों का कहना है कि शैक्षणिक सत्र 2024-25 से 11वीं और 12वीं कक्षा की परीक्षाओं में दक्षता-आधारित प्रश्न अधिक संख्या में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य पता लगाना है कि छात्र वास्तविक जीवन में इन अवधारणा को कितना समझ पा रहा है।
अधिकारियों ने कहा कि बहु विकल्प प्रश्न (एमसीक्यू), मामले-आधारित प्रश्न, स्रोत-आधारित एकीकृत प्रश्न या अन्य प्रकार के दक्षता-आधारित प्रश्नों का प्रतिशत 40 से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया है जबकि लघु और दीर्घ उत्तर सहित अन्य प्रश्नों का प्रतिशत 40 से घटाकर 30 प्रतिशत कर दिया गया है।