तमिलनाडु सरकार ने शुक्रवार (8 अगस्त 2025) को राज्य की एक अलग शिक्षा नीति की शुरुआत कर दी। दरअसल, मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्र की नई शिक्षा नीति (NEP) के जवाब में राज्य की नई शिक्षा पॉलिसी को लॉन्च किया। तमिलनाडु की इस राज्य स्तर की नई शिक्षा पॉलिसी में हिंदी भाषा की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है। साथ ही 10वीं तक सभी बोर्ड में तमिल भाषा की अनिवार्यता को लागू कर दिया है। एमके स्टालिन ने नई शिक्षा नीति को लॉन्च करते हुए कहा कि केंद्र सरकार की NEP सामाजिक न्याय के खिलाफ है और इसका उद्देश्य राज्य पर हिंदी को थोपना है।

तमिल और अंग्रेजी के प्रति दृढ़ है तमिलनाडु- स्टालिन

मुख्यमंत्री ने चेन्नई में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि तमिलनाडु, तमिल और अंग्रेजी की द्विभाषी नीति का पालन करने के प्रति दृढ़ है और राज्य की नई शिक्षा नीति छात्रों को भविष्य के लिए तैयार एवं सुसज्जित करने के लिए बनायी गई है। स्टालिन ने स्कूली छात्रों के लिए आयोजित राज्य स्तरीय सम्मान समारोह और राज्य शिक्षा नीति 2025 के विमोचन समारोह में कहा, “हम भविष्य के जीवन के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करना चाहते हैं। हम ऐसे छात्र तैयार करना चाहते हैं जो तकनीकी रूप से सक्षम, रचनात्मक, भविष्य के लिए तैयार और सुसज्जित हों।”

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तमिलनाडु की नई शिक्षा नीति में क्या है?

तमिलनाडु की नई शिक्षा नीति में कक्षा 11वीं के लिए कोई सार्वजनिक परीक्षा नहीं होगी। साथ ही हिंदी की अनिवार्यता को खत्म कर दिया गया है। इस पॉलिसी में छात्रों को तीन भाषा पढ़ने का प्रावधान है। इसमें हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में रखा गया है। पहली भाषा तमिल और दूसरी भाषा अंग्रेजी है। तमिलनाडु ने केंद्र की नई शिक्षा नीति को मानने से इनकार कर दिया था।

तमिलनाडु के सभी स्कूलों (CBSE, ICSE, और स्टेट बोर्ड) में सिर्फ दो भाषाएं पढ़ाई जाएंगी जिसमें तमिल और अंग्रेजी शामिल है। इस शिक्षा नीति में 10वीं तक सभी छात्रों को तमिल पढ़नी होगी। 10वीं तक कोई छात्र फेल नहीं होगा। हर स्टूडेंट को अगली क्लास में प्रमोट किया जाएगा। 12वीं में छात्रों बोर्ड परीक्षा देनी होगी।

वहीं तमिलनाडु की नई शिक्षा नीति में 5 + 3+3 +4 का फॉर्मेट है यानी कि स्कूल के पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और क्लास 1 और 2 सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल हैं। वहीं, स्टेट एजुकेशन पॉलिसी में ऐसा कोई स्ट्रक्चर नहीं है।