बॉलीवुड के बादशाह कहे जाने वाले शाहरुख खान बचपन के दिनों से ही पढ़ाई-लिखाई में काफी अच्छे थे। स्कूल में एक आदर्श छात्र के रूप में उनकी पहचान थी। यह हर कोई जानता है कि उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज से अर्थशास्त्र में ग्रेजुएशन पूरी की थी। इसके बाद जामिया से उन्होंने मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई की, लेकिन क्या आपको पता है कि शाहरुख खान ने डीयू में एडमिशन से पहले ही आईआईटी में एडमिशन के लिए एंट्रेंस परीक्षा भी पास कर ली थी।
शाहरुख ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने स्कूल में विज्ञान की पढ़ाई की थी, लेकिन कॉलेज में कोई दूसरा विषय पढ़ना चाहते थे। जब उन्होंने यह बात अपनी मां को बताई, जो चाहती थीं कि शाहरुख विज्ञान की पढ़ाई जारी रखें, तो उन्होंने शाहरुख को आईआईटी की प्रवेश परीक्षा देने के लिए कहा जो कि उन्होंने दी भी और उसे पास भी किया। शाहरुख ने बताया, “जब मैं अपना करियर चुन रहा था, तो मेरी मां ने कहा, ‘मैं चाहती हूँ कि तुम विज्ञान में जाओ।’ मैंने कहा, ‘ठीक है, मैं परीक्षा दे सकता हूं, लेकिन मैं अर्थशास्त्र लेना चाहता हूं क्योंकि मैंने स्कूल से विज्ञान की पढ़ाई पूरी कर ली है।’
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शाहरुख की इन बातों पर उनकी मां ने कहा था, ‘ओह, तुम अर्थशास्त्र में जाना चाहते हो, लेकिन क्या तुम आईआईटी की प्रवेश परीक्षा दे सकते हो? क्या तुम इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा दे सकते हो?’ मैंने कहा, ‘हां मैं दे सकता हूं’ और उन्होंने कहा, ‘ठीक है तो फिर परीक्षा दो। मैंने परीक्षा दी और उसे पास भी कर लिया, लेकिन फिर उन्होंने कहा कि तुम्हें इंजीनियरिंग करने की जरूरत नहीं है तुम अब अर्थशास्त्र की परीक्षा दो।
अपने बचपन के बारे में बात करते हुए शाहरुख ने बताया था कि उन्हें परिवार की ओर से सबकुछ करने का सपोर्ट मिला था, उनकी फैमिली काफी खुले विचारों की थी। शाहरुख ने बताया था कि बचपन काफी अच्छा था और आसान था, बचपन में खूब सारी आजादी रहती थी। मुझे धार्मिक स्वतंत्रता भी मिली हुई थी। हमें नहीं बताया गया था कि हमें क्या करना है और क्या नहीं करना है। धार्मिक शिक्षाओं, समारोहों, पढ़ाई, करियर में भी सब कुछ हमें खुद करने की आजादी थी।
शाहरुख ने बताया था कि बचपन से ही उन्हें नमाज पढ़ना अच्छा लगता था और इसीलिए वह नमाज पढ़ते थे। मैं ज़िंदगी भर यही चाहता रहा हूं कि काश मैं अपने बच्चों को ऐसे ही बड़ा कर पाता, जहां आपको अपने माता-पिता की किसी भी बात से डरे बिना उसका सम्मान करना सिखाया जाता।”