देश की सर्वोच्च न्यायालय ने नीट पीजी राउंड 3 की काउंसलिंग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान मंगलवार को केंद्र सरकार, राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) और मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (MCC)से जवाब मांगा। साथ ही इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 7 फरवरी निर्धारित कर दी।
राउंड 3 काउंसलिंग दोबारा कराने की हो रही मांग
सुप्रीम कोर्ट में नीट-पीजी 2024 के अखिल भारतीय कोटा (एआईक्यू) राउंड 3 की नए सिरे से काउंसलिंग के अनुरोध वाली याचिका पर सुनवाई हो रही थी। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने याचिका पर जवाब तलब करते हुए नोटिस जारी किया। इस मामले में अब अगली सुनवाई 7 फरवरी को होगी।
याचिकाकर्ताओं की क्या है मांग?
बता दें कि नीट पीजी 2024 की काउंसलिंग के लिए पात्र याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि नीट-पीजी के लिए ‘AIQ’ काउंसलिंग का चरण-3 कुछ राज्यों में काउंसलिंग के चरण-2 के समापन से पहले शुरू हुआ था। वकील तन्वी दुबे की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता एआईक्यू और राज्य कोटा संबंधी काउंसलिंग कार्यक्रम में टकराव से व्यथित हैं।
इसमें कहा गया है कि राज्य कोटे से कई अभ्यर्थियों को एआईक्यू चरण-3 में पंजीकरण करने और सीट प्राप्त करने का मौका मिल गया, जो अन्यथा एआईक्यू चरण-3 के लिए पंजीकरण करने के वास्ते अयोग्य थे। याचिका में कहा गया है कि जब राज्य संबंधी चरण-2 की काउंसलिंग शुरू हुई, तो उनके पास सबसे अच्छे विकल्प के बीच चयन करने और राज्य संबंधी काउंसलिंग में बेहतर सीट मिलने पर एआईक्यू सीट छोड़ने का विकल्प था।
याचिका में कहा गया है कि उनकी तरह के अन्य अभ्यर्थियों के लिए गंभीर विषय है क्योंकि वह उनकी सीट से वंचित रह गए हैं जो राज्य संबंधी अभ्यर्थियों को मिल गईं। जिनके चरण-2 की काउंसलिंग पहले शुरू नहीं हुई थी।’’ याचिका में कहा गया है, ‘‘यदि सभी राज्यों में राज्य संबंधी चरण-2 काउंसलिंग समाप्त होने के बाद एआईक्यू चरण-2 आयोजित किया गया होता, तो अभ्यर्थियों के एक समूह को एआईक्यू चरण-3 में सीट प्राप्त करने और बाद में राज्य संबंधी चरण-2 में भाग लेने के दौरान इसे छोड़ने का अनुचित लाभ नहीं मिलता।’’
याचिका में दावा किया गया है कि ‘मेडिकल काउंसलिंग कमेटी’ ने राज्य संबंधी काउंसलिंग चरण-2 के समापन से पहले एआईक्यू चरण-3 काउंसलिंग आयोजित की, जिसके कारण मध्यप्रदेश के अभ्यर्थियों को सीट मिल गईं, जहां राज्य संबंधी काउंसलिंग का चरण-2 तब तक समाप्त नहीं हुआ था। इसमें कहा गया है कि इससे ऐसी स्थिति पैदा हो गई, जिसमें कई मेधावी अभ्यर्थी सीट पाने से वंचित रह गए।