National Education Day 2020 Quotes, Images, Theme, Speech, Maulana Abul Kalam Azad Ka Jeevan Parichay, Quotes, Speech: भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती के उपलक्ष्य में हर साल 11 नवंबर को पूरे देश में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने 1947 से 1958 तक पंडित जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में शिक्षा मंत्री के रूप में देश की सेवा की। एक सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद केवल एक विद्वान नहीं थे, बल्कि शिक्षा के साथ राष्ट्र के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध थे।
राष्ट्रीय शिक्षक दिवस पर मौलाना आज़ाद और आचार्य कृपलानी को नमन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ट्विट किया। उन्होंने ट्विट में लिखा कि, मौलाना आज़ाद और आचार्य कृपलानी का राष्ट्रीय प्रगति में उत्कृष्ट योगदान दिया। उन्होंने गरीबों और युवाओं के जीवन को सशक्त बनाने की दिशा में खुद को समर्पित किया। मैं उनकी जयंती पर उन्हें नमन करता हूं। उनके आदर्श हमें प्रेरित करते रहते हैं।
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मौलाना अबुल कलाम आज़ाद IIT और देश के कई प्रमुख संस्थानों के पीछे के व्यक्ति थे। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद या मौलाना सैय्यद अबुल कलाम गुलाम मुहियुद्दीन अहमद बिन खैरुद्दीन अल-हुसैनी आज़ाद का जन्म 11 नवंबर 1888 को हुआ था। इस दिन, शिक्षा के बारे में जागरूकता फैलाने और प्रत्येक व्यक्ति को साक्षर बनाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों और अभियानों का आयोजन किया जाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया ये ट्विट-
राष्ट्रीय शिक्षक दिवस पर मौलाना आज़ाद और आचार्य कृपलानी को नमन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ट्विट किया। उन्होंने ट्विट में लिखा कि, मौलाना आज़ाद और आचार्य कृपलानी का राष्ट्रीय प्रगति में उत्कृष्ट योगदान दिया। उन्होंने गरीबों और युवाओं के जीवन को सशक्त बनाने की दिशा में खुद को समर्पित किया। मैं उनकी जयंती पर उन्हें नमन करता हूं। उनके आदर्श हमें प्रेरित करते रहते हैं।
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद एक स्वतंत्रता सेनानी, पत्रकार और समाज सुधारक थे और शिक्षा के माध्यम से एक राष्ट्र के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध थे।
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को 1920 में उत्तर प्रदेश आमंत्रित किया गया था और उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में जामिया मिलिया इस्लामिया की नींव समिति के सदस्य के रूप में चुना गया था।
1950 में संगीत नाटक अकादमी, साहित्य अकादमी, ललित कला अकादमी का गठन हुआ था। ये सब आजाद की अगुवाई में ही हुआ था। इसके साथ ही 1949 में, सेंट्रल असेंबली में, उन्होंने आधुनिक विज्ञान के महत्व पर ज्यादा जोर दिया था।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 11 सितंबर, 2008 को घोषणा की, "मंत्रालय ने भारत में शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान को याद करते हुए भारत के इस महान बेटे के जन्मदिन को मनाने का निर्णय लिया है।"
स्कूल ऑफ एजुकेशन, IGNOU ने बुधवार को वर्चुअल मोड के माध्यम से "राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के प्रकाश में राष्ट्रीय शिक्षा दिवस का महत्व" विषय पर एक लेक्चर का आयोजन करके राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया।
देश के सभी शैक्षणिक संस्थान दिन पर सेमिनार, निबंध-लेखन, अभिरुचि प्रतियोगिताओं, कार्यशालाओं और रैलियों के बैनर कार्ड और नारों के साथ साक्षरता के महत्व और शिक्षा के सभी पहलुओं पर राष्ट्र की प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए शिक्षा दिवस को मनाते हैं।
हर साल 2008 से 11 नवंबर को मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती मनाने के लिए शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज़ाद भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे।
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद द्वारा (उनके कार्यकाल के दौरान) स्थापित कुछ महत्वपूर्ण बोर्ड / आयोग इस प्रकार हैं-
यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन (UGC)
ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन All India council for Technical education
अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE),
आईआईटी खड़गपुर
द यूनिवर्सिटी एजुकेशन कमीशन,
द सेकेंड्री एजुकेशन कमीशन,
आईआईएससी,
स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर एण्ड प्लानिंग,
जामिया मिलिया इस्लामिया
"शीर्ष पर चढ़ने के लिए ताकत की जरूरत होती है, चाहे वह माउंट एवरेस्ट के शीर्ष पर हो या अपने करियर के शीर्ष पर।" - मौलाना अबुल कलाम आज़ाद
हिंदू और मुस्लिम एकता के लिए काम करने के लिए भी मौलाना आजाद को याद किया जाता है। उन्होंने 1931 में धारासना सत्याग्रह की शुरुआत की गई थी, वह सेक्युलर और सोशलिस्ट विचाराधार के समर्थक थे और जीवन पर्यंत उन्होंने इस विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए काम किया। जिस समय वह कांग्रेस के अध्यक्ष बने उसी कार्यकाल में अंग्रेजो भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की गई थी, इस दौरान आजाद जेल भी गए, उनके साथ शीर्ष कांग्रेस के नेता भी जेल गए।
महात्मा गांधी के आदर्शो और सिद्धांतों का मौलाना आजाद पर काफी प्रभाव पड़ा। मौलाना आजाद ने महज 35 वर्ष की आयु में ही कांग्रेस पार्टी की कमान संभाल ली थी और पार्टी के अध्यक्ष बन गए थे। 1920 में वह जामिया मिलिया इस्लामिया की संस्थापक कमेटी के सदस्य बने, उन्होंने बिना ब्रिटिश सरकार की मदद के इस संस्थान को खड़ा किया। संस्थान के मुख्य द्वार का नाम भी मौलाना आजाद के नाम पर ही रखा गया है।
शिक्षा के क्षेत्र में मौलाना आजादा का योगदान हमेशा याद किया जाएगा। उन्हें ना सिर्फ जामिया मिलिया की स्थापना बल्कि देश के कई और शीर्ष संस्थानों की स्थापना के लिए याद किया जाता है। देश में आईआईटी की स्थापना का श्रेय भी उन्हे जाता है, इसके अलावा उन्होंने यूजीसी की भी स्थापना में विशेष योगदान दिया जोकि तमाम विश्वविद्यालयों पर निगरानी रखती है।
भगवान के एक बच्चे के रूप में, मैं उस चीज से बड़ा हूं जो मेरे साथ हो सकता है।
जीभ से पढ़ाने को सहन किया जा सकता है लेकिन अच्छे काम से मजबूत बने रह सकते हैं।
तेज लेकिन बनावटी खुशी के बाद चलने की तुलना में ठोस उपलब्धियां बनाने के लिए अधिक समर्पित रहें।
सुंदर नामों को धारण करने पर भी गुलामी सबसे बुरी है।
अपने मिशन में सफल होने के लिए, आपके पास अपने लक्ष्य के लिए एकल-दिमाग वाली भक्ति होनी चाहिए।
क्या हमें यह एहसास नहीं है कि आत्म-सम्मान आत्मनिर्भरता के साथ आता है?
बहुत से लोग पेड़ लगाते हैं लेकिन उनमें से कुछ को ही इसका फल मिलता है।
मैं उस अविभाज्य एकता का हिस्सा हूं जो भारतीय राष्ट्रीयता है।
शिक्षाविदों को छात्रों में पूछताछ, रचनात्मकता, उद्यमशीलता और नैतिक नेतृत्व की भावना का निर्माण करना चाहिए और उनका आदर्श बनना चाहिए।
दिल से दी गई शिक्षा समाज में क्रांति ला सकती है। ”- मौलाना अबुल कलाम आज़ाद
हमने किसी पर आक्रमण नहीं किया है। हमने किसी पर विजय प्राप्त नहीं की है। हमने उनकी जमीन, उनकी संस्कृति, उनके इतिहास को नहीं पकड़ा है और उन पर हमारे जीवन के तरीके को लागू करने की कोशिश की है।
"आपको अपने सपने सच होने से पहले सपने देखने होंगे।" - मौलाना अबुल कलाम आज़ाद
"शीर्ष पर चढ़ने के लिए ताकत की जरूरत होती है, चाहे वह माउंट एवरेस्ट के शीर्ष पर हो या अपने करियर के शीर्ष पर।" - मौलाना अबुल कलाम आज़ाद