पिछले दो दशकों से भारत ने अनेक खेलों में बेहतर प्रदर्शन से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ी है। खेलों और खिलाड़ियों को मिलने वाले सम्मान और प्रसिद्धि ने बड़ी तादात में युवाओं को खेल के क्षेत्र में करिअर बनाने को प्रोत्साहित किया है। हालांकि बड़ी तादाद में ऐसे युवा भी हैं जो शारीरिक तौर पर भले ही उतने फिट या योग्य न हों लेकिन खेल विशेष की गहरी समझ, जोश और जज्बे के मामले में उनका कोई जोड़ नहीं है। अब ऐसे युवाओं के लिए भी खेलकूद के क्षेत्र में योगदान देने के तमाम मौके बनने लगे हैं और युवा इन मौकों को भुना भी रहे हैं।
वे दिन गए जब किसी खेल में मुख्य भूमिका सिर्फ खिलाड़ी और कोच की रहा करती थी। तब खेल के क्षेत्र में करिअर बनाने का मतलब सिर्फ और सिर्फ खिलाड़ी बनना होता था और कोच ऐसे विशेषज्ञ हुआ करते थे जो पूर्व में खुद खिलाड़ी रहे हों। हालांकि खेल के आधुनिक संस्करण में वास्तविक खेल सिर्फ खिलाड़ी नहीं खेलता बल्कि नेपथ्य में एक पूरी टीम काम कर रही होती है। खेल में जितनी भूमिका खिलाड़ी की होती है उससे कहीं अधिक पर्दे के पीछे से काम करने वाली टीम की हो गई है।
यह टीम ओवरआल प्रबंधन, योजना, विश्लेषण, रणनीति, खिलाड़ियों का आहार और फिटनेस आदि सभी चीजों का ख्याल रखती है। इतने सारे कार्यों को अंजाम देने के लिए तमाम विशेषज्ञों की जरूरत पड़ती है। चूंकि भारत में अब क्रिकेट के अतिरिक्त अन्य खेलों पर भी पेशेवराना तरीके से ध्यान दिया जाने लगा है इसलिए बड़ी तादात में विशेषज्ञों की जरूरत पड़ने लगी है।
इन जरूरतों को देखते हुए तमाम विश्वविद्यालयों में विशेष पाठ्यक्रमों का भी संचालन किया जाने लगा है। स्पोर्ट्स अथारिटी आफ इंडिया (साई) द्वारा भी कई प्रकार की पहल की गई है। इस प्रकार खेल के शौकीनों और इस क्षेत्र में अपना करिअर बनाने का सपना देखने वालों के लिए उच्च वेतन वाली नौकरियों और पूर्ण पेशेवर जीवन जीने के कई सारे विकल्प उपलब्ध हो गए हैं।
क्या है करिअर की संभावना
खेल से जुड़े इस क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करने के बाद कमेंटेटर, प्रशिक्षक, खेल कार्यक्रम प्रबंधक, खेल पत्रकार, एडवेंचर स्पोर्ट्स आर्गनाइजेशन, क्षेत्रीय खेल प्रबंधक, स्पोर्ट्स फिटनेस एक्सपर्ट, खेल शिक्षक, स्पोर्ट्स डाइटिशियन आदि के रूप में करिअर बनाने के रास्ते खुल जाते हैं।
इस क्षेत्र से जुड़ी नौकरियां सरकारी, गैर सरकारी, और स्थानीय स्तर पर प्राप्त की जा सकती हैं। इसके अलावा निजी अकादमी से जुड़कर या अपनी खुद की एकेडमी स्थापित की जा सकती है। इस क्षेत्र में करिअर के शुरुआती दिनों में 30-50 हजार प्रतिमाह की आमदनी आसानी से प्राप्त की जा सकती है। अनुभव और संपर्क स्थापित होने के बाद आय बढ़ती रहती है।
डिप्लोमा पाठ्यक्रम
डिप्लोमा इन स्पोर्ट्स मार्केटिंग,डिप्लोमा इन स्पोर्ट्स कोचिंग,डिप्लोमा इन स्पोर्ट्स मैनेजमेंट,डिप्लोमा इन स्पोर्ट्स साइंस एंड न्यूट्रिशन
स्नातक पाठ्यक्रम
बीएससी इन फिजिकल एजुकेशन,बैचलर आफ इन स्पोर्ट्स साइंस, बैचलर आफ स्पोर्ट्स मैनेजमेंट, बैचलर आफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन इन स्पोर्ट्स मैनेजमेंट।
स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम
मास्टर आफ फिजिकल एजुकेशन, एमएससी इन स्पोर्ट्स साइंस, मास्टर आफ स्पोर्ट्स मैनेजमेंट,एमबीए इन स्पोर्ट साइंस,पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन स्पोर्ट्स मेडिसिन,पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन स्पोर्ट्स मैनेजमेंट एंड बिजनेस।
पीएचडी पाठ्यक्रम
पीएचडी इन स्पोर्ट्स मैनेजमेंट,पीएचडी इन फिजिकल एजुकेशन, एमफिल इन फिजिकल एजुकेशन।
-अविनाश चंद्रा, लोकनीति के मामलों के जानकार