भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) दिल्ली ने कैमिस्ट्री में अपना पहला बैचलर ऑफ साइंस (BS) कार्यक्रम शुरू किया है, जो शैक्षणिक वर्ष 2025-26 से शुरू होगा। नए चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम में JoSAA काउंसलिंग पोर्टल के माध्यम से संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) एडवांस्ड 2025 के माध्यम से छात्रों को प्रवेश दिया जाएगा। इस कार्यक्रम का उद्देश्य शुद्ध विज्ञान की डिग्री से अपेक्षित गहराई से समझौता किए बिना रासायनिक विज्ञान शिक्षा में प्रारंभिक बहु-विषयकता को प्रोत्साहित करना है।

नए प्रोग्राम पर बोले आईआईटी प्रोफेसर

IIT दिल्ली में रसायन विज्ञान विभाग के प्रमुख प्रोफ़ेसर एस नागेंद्रन ने कहा, “जबकि इंजीनियरिंग स्नातकों में अक्सर गहन वैज्ञानिक आधारों की कमी होती है, रसायन विज्ञान स्नातक इंजीनियरिंग सिद्धांतों से चूक सकते हैं। यह कार्यक्रम उस अंतर को पाटता है।”

पाठ्यक्रम छात्रों को मुख्य रसायन विज्ञान-आधारित उद्योगों, अनुसंधान, शिक्षा और उद्यमिता में विविध भूमिकाओं के लिए तैयार करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। सैद्धांतिक और व्यावहारिक दोनों पहलुओं पर ज़ोर देने के साथ, कार्यक्रम का उद्देश्य वास्तविक दुनिया की चुनौतियों का समाधान करने में सक्षम प्रौद्योगिकी नेताओं और शोधकर्ताओं को विकसित करना है।

क्या है बैचलर ऑफ साइंस प्रोग्राम की रूपरेखा ?

कार्यक्रम समन्वयक प्रो. रवि पी. सिंह ने कहा कि छात्र अपने पहले वर्ष में मूलभूत विज्ञान और इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम लेंगे, उसके बाद दूसरे वर्ष में मुख्य रसायन विज्ञान विषय लेंगे। तीसरे और चौथे वर्ष में अंतःविषयक ऐच्छिक, शोध के अवसर और किसी अन्य विषय में माइनर करने का विकल्प पेश किया जाएगा। कुछ प्रमुख विशेषताओं में शामिल हैं:

–उन्नत प्रयोगशाला प्रशिक्षण के साथ 30% व्यावहारिक शिक्षा

–रसायन विज्ञान में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग (AI-ML) जैसे अत्याधुनिक क्षेत्रों में पाठ्यक्रम

–अंतर-विभागीय ऐच्छिक और माइनर डिग्री विकल्प

–प्रायोगिक और कम्प्यूटेशनल रसायन विज्ञान पर केंद्रित व्यावहारिक शिक्षा

स्नातक फार्मास्यूटिकल्स, सेमीकंडक्टर, तेल और गैस, रक्षा, ऑटोमोटिव और रासायनिक परामर्श जैसे क्षेत्रों में करियर के लिए अच्छी स्थिति में होंगे।

यह लॉन्च IIT दिल्ली की अपनी शैक्षणिक पेशकशों को आधुनिक बनाने की बड़ी पहल के हिस्से के रूप में आया है। इससे पहले, संस्थान ने 2025-26 शैक्षणिक सत्र के लिए स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी कार्यक्रमों में अपने पाठ्यक्रम को संशोधित किया ताकि अधिक शैक्षणिक लचीलापन और उद्योग संरेखण पेश किया जा सके। इन परिवर्तनों का उद्देश्य अंतःविषयक शिक्षण को प्रोत्साहित करते हुए भावी कार्यबल के लिए विद्यार्थियों की तैयारी को बढ़ाना है।