पूर्व प्रशिक्षित IAS अधिकारी पूजा खेडकर विवाद में केंद्र सरकार ने शनिवार को एक बहुत बड़ा कदम उठाया है। दरअसल, सरकार ने पूजा खेडकर को तत्काल प्रभाव से भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) से मुक्त कर दिया है। बता दें कि पूजा खेडकर पर यह एक्शन इसलिए हुआ क्योंकि 2022 में सिविल सेवा परीक्षा (सीएसई) के लिए उन्हें “अयोग्य” पाया गया था। यह जानकारी DopT के सूत्रों ने शनिवार को दी। इससे पहले संघ लोक सेवा आयोग ने भी उन पर बैन लगा दिया था।
पिछले महीने यूपीएससी ने उनके चयन को किया था रद्द
बता दें कि आयोग ने पिछले महीने पूजा खेडकर के चयन को रद्द भी कर दिया था। आयोग ने उनके खिलाफ जालसाजी और कदाचार के आरोपों के बाद सीएसई 2022 के लिए उनकी उम्मीदवारी को रद्द कर दिया था। यूपीएससी के अनुसार, पूजा खेडकर पर कथित तौर पर अधिकतम प्रयासों की अनुमति से अधिक परीक्षा में बैठने के लिए अपना नाम पूजा दिलीपराव खेडकर से बदलकर पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर कर लिया और अपने माता-पिता का नाम भी बदला था।
किस नियम के तहत हुई उनकी बर्खास्तगी
डीओपीटी के सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने पूजा खेडकर पर यह कार्रवाई आईएएस (परिवीक्षा) नियम, 1954 के नियम 12 के तहत की है जिसमें प्रावधान है कि अगर कोई IAS अधिकारी अयोग्य पाया जाता है तो उसे तत्काल प्रभाव से बर्खास्त किया जा सकता है। बता दें कि पूजा खेडकर विवाद में यूपीएससी ने 2009 और 2023 के बीच आईएएस स्क्रीनिंग प्रक्रिया को पास करने वाले 15,000 से अधिक उम्मीदवारों के डेटा की जांच भी की थी।
खेडकर ने हाईकोर्ट में दी थी यह दलील
बता दें कि पूजा ने शुक्रवार को ही दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल अपनी याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा था कि वह एम्स में अपनी विकलांगता की जांच कराने के लिए तैयार हैं। खेडकर की ओर से यह दलील तब दी गई थी कि जब दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया था कि पूजा का विकलांगता प्रमाण पत्र फर्जी हो सकता है। खेडकर पर धोखाधड़ी करने के साथ-साथ अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और दिव्यांगता कोटे का गलत तरीके से लाभ लेने के भी आरोप लगे थे।