दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीएसई और दिल्ली सरकार को राजधानी में चल रहे ‘डमी’ स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश जारी किए हैं। उच्च न्यायालय ने कहा है कि इस तरह के स्कूल एक ‘धोखा’ है और ऐसे स्कूलों को अनुमति नहीं दी जा सकती। दिल्ली उच्च न्यायालय ने 27 जनवरी, 2025 को सीबीएसई बोर्ड को इस मुद्दे पर गौर करने का निर्देश दिया। मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने इसे ‘धोखाधड़ी’ के रूप में उजागर किया। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि जो स्कूल कोचिंग कर रहे हैं और कक्षाओं में उपस्थित नहीं रहते उन्हें बोर्ड एग्जाम में बैठने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

दिल्ली सरकार और CBSE से मांगा जवाब

हाईकोर्ट की बेंच ने आगे कहा है कि हमें यह जानकारी मिली है कि छात्र स्कूलों में उपस्थित नहीं रहते हैं और कोचिंग सेंटर में अधिकतर समय बिताते हैं। उच्च न्यायालय ने कहा है कि यह एक “धोखा” है और ऐसे स्कूलों को अनुमति नहीं दी जा सकती, जो छात्रों को केवल कोचिंग क्लासेस में भेजते हैं और परीक्षा में बैठने की अनुमति देते। कोर्ट ने इस मामले को लेकर दिल्ली सरकार और सीबीएसई से हलफनामा दाखिल करने को कहा है।

हाईकोर्ट ने इस हलफनामे में सीबीएसई और सरकार से मांगा है कि वो यह बताएं कि डमी स्कूलों के खिलाफ अब तक क्या कदम उठाए गए हैं। कोर्ट ने कहा कि ये स्कूल छात्रों को झूठी जानकारी देकर परीक्षा देने की अनुमति दे रहे हैं, जबकि वास्तविक शिक्षा या उपस्थिति का कोई आधार नहीं है।

सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील ने दावा किया कि “डमी स्कूल” का कोई विचार नहीं है और कहा कि “फर्जी प्रवेश” को ज्यादा बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि स्कूलों को उनकी संबद्धता के नियमों का पालन करना अनिवार्य है, और इस तरह के स्कूलों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाती है।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सवाल उठाया कि राज्य शिक्षा विभाग ने अब तक इन “फर्जी” प्रवेशों के खिलाफ क्या कदम उठाए हैं। दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि दो मामलों में कार्रवाई की गई है। बेंच ने आगे आदेश दिया, “यह देखा गया है कि छात्र स्कूलों में कक्षाओं में उपस्थित नहीं होते हैं, बल्कि कोचिंग सेंटरों में समय बिताते हैं। हालांकि, उन्हें शिक्षा बोर्डों द्वारा परीक्षा देने की अनुमति दी जाती है, जहां उन्हें अपेक्षित न्यूनतम उपस्थिति दर्ज कराने की आवश्यकता होती है।