सीयूईटी यूजी 2024 का परीक्षा परिणाम अभी तक जारी नहीं हुआ है। 15 से 29 मई के बीच आयोजित हुई परीक्षा का रिजल्ट काफी लेट हो चुका है। रिजल्ट लेट होने की वजह से कई विश्वविद्यालयों में अंडरग्रेजुएट कोर्सेस के लिए दाखिला प्रक्रिया रूकी हुई है। डीयू और जेएनयू समेत 262 से अधिक विश्वविद्यालयों में सीयूईटी यूजी के परिणाम के आधार पर ही एडमिशन प्रोसेस शुरू होना था, लेकिन वह अब लेट है। इस बीच मुंबई के दो कॉलेजों ने सीयूईटी 2024 से अपना नाम अलग कर लिया है।
सीयूईटी यूजी से अलग हुए दो कॉलेज
मुंबई के नरसी मोनजी कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स और मीठीबाई कॉलेज ऑफ आर्ट्स ने CUET UG 2024 प्रवेश प्रक्रिया में भाग नहीं लेने का फैसला किया है। इसके बजाय इन कॉलेजों ने 12वीं के मार्क्स के आधार पर ही ग्रेजुएट कोर्सेस में एडमिशन देने का फैसला किया है। जानकारी के मुताबिक, दोनों संस्थानों ने शुरुआत में सीयूईटी के मार्क्स के आधार पर ही एडमिशन देने की योजना बनाई थी, लेकिन रिजल्ट में हुई देरी की वजह से इन कॉलेजों ने यह फैसला लिया।
CUET UG Result 2024 Live Updates
डीयू फैकल्टी ने भी लिखी चिट्ठी
इस बीच दिल्ली यूनिवर्सिटी फैकल्टी ने भी सीयूईटी यूजी रिजल्ट में हुई देरी को लेकर वाइस चांसलर को खत लिख दिया है। दिल्ली विश्वविद्यालय के निर्वाचित अकादमिक परिषद के सदस्यों मिथुराज धुसिया और मोनामी बसु ने वाइस चांसलर को एक चिट्ठी सौंपी है जिसमें ग्रेजुएट कोर्सेस में एडमिशन के आधारित CUET UG के रिजल्ट में हो रही देरी के चलते नीतियों की समीक्षा की मांग की गई है।
कुलपति योगेश सिंह को लिखे एक नोट में, दोनों सदस्यों ने केंद्रीय विश्वविद्यालय से अगले शैक्षणिक वर्ष से सीयूईटी प्रवेश परीक्षा से बाहर निकलने का अनुरोध किया है क्योंकि उनका मानना है कि सीयूईटी पर निर्भरता की वजह से पूरा एकेडमिक कैलेंडर प्रभावित होता है।
चिट्ठी में आगे क्या लिखा है?
इस चिट्ठी में आगे लिखा है कि दिल्ली विश्वविद्यालय न केवल अपने प्रमुख कोर्सेस के लिए जाना जाता है बल्कि अपने एकेडमिक कैलेंडर के समय पर अनुपालन के लिए भी जाना जाता है। डीयू की एक विशेषता यही है जिसने पूरे देश के छात्रों को इस यूनिवर्सिटी में पढ़ने के लिए आकर्षित किया है, लेकिन नई शिक्षा प्रणाली और सीयूईटी जैसी आधी-अधूरी खराब तरीके से तैयार की गई नीतियों को लागू करके दिल्ली विश्वविद्यालय ने सभी नीतिगत निर्णयों पर अपनी स्वायत्तता को गंभीर रूप से कमजोर कर दिया है, लेकिन सरकार और शिक्षा मंत्रालय के स्तर पर नीतिगत पक्षाघात का भी शिकार हो गया है।