बहुत पुरानी बात नहीं है, जब कंप्यूटर पर कोई साफ्टवेयर डाउनलोड करने के लिए फ्लापी डिस्क, सीडी या डीवीडी या फिर पेन ड्राइव की जरूरत होती थी। सॉफ्टवेयर को (डाटा) ले जाने वाले उक्त बाहरी उपकरण की जरूरत पड़ती थी। एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर तक डाटा पहुंचाने का माध्यम खर्चीला और ज्यादा समय लेने वाला होता था। इंटरनेट के माध्यम से डाटा को छोटे छोटे भाग में बांटकर भेजा जा सकता था लेकिन यूजर के द्वारा डाटा एक साथ एक से अधिक डिवाइस पर एक्सेस करना संभव नहीं होता था।
एक्सटर्नल डिवाइस के खोने या करप्ट होने की स्थिति में डाटा को वापस पाना भी असंभव था। लेकिन क्लाउड कंप्यूटिंग तकनीकी के विकास ने जीवन को काफी आसान बना दिया है। आज भारी से भारी डाटा को क्लाउड स्पेस में सुरक्षित रखना और एक से अधिक डिवाइस पर कहीं भी, कभी भी एक्सेस करना संभव है। इसके अतिरिक्त बगैर बाहरी उपकरण के चाहे कोई साफ्टवेयर डाउनलोड करना हो या मोबाइल पर एप, सबकुछ चुटकियों में संभव है।
देश में 20 लाख से अधिक क्लाउड कंप्यूटर विशेषज्ञ की जरूरत
विभिन्न क्षेत्र की कंपनियां कार्यभार को प्रबंधित करने के लिए क्लाउड प्रथम योजना अपना रहीं हैं। रिमोट वर्किंग के लोकप्रिय ट्रेंड के कारण विशेषज्ञ क्लाउड पेशवरों की इन दिनों काफी मांग देखी जा रही है। नैसकाम के सर्वे के मुताबिक वर्ष 2025 में भारत में 20 लाख से अधिक क्लाउड कंप्यूटर विशेषज्ञ की जरूरत होगी।
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यह एक ऐसी तकनीक है जिसके द्वारा इंटरनेट का इस्तेमाल कर विभिन्न प्रकार की सेवाएं प्रदान की जा सकती हैं। चाहे वह साफ्टवेयर प्रदान करना हो या सर्वर पर स्टोरेज स्पेस देना या कोई और सेवा। इसमें किसी भी प्रकार की कंप्यूटर की सर्विस को इंटरनेट के जरिए उपयोगकर्ता की मांग पर उसे प्रदान किया जाता है। जैसे, इस प्रौद्यगिकी में उपयोगकर्ता को इंटरनेट के एक सर्वर पर (जिसे क्लाउड भी कहते हैं) डाटा संग्रहण की सुविधा दी जाती है। उपयोगकर्ता क्लाउड पर सेवाएं खरीदकर अपना डाटा उस पर सुरक्षित कर सकता है। यह डाटा वह दुनिया में कहीं से भी हासिल कर सकता है।
क्लाउड कंप्यूटिंग की पढ़ाई के बाद करियर की संभावनाएं
ई-कामर्स कंपनियां व एसएमईज में क्लाउड कंप्यूटिंग पेशेवरों की मांग है। क्लाउड कंप्यूटिंग करने के उपरांत क्लाउड साफ्टवेयर इंजीनियर, क्लाउड इंजीनियर, क्लाउड ओटोमेशन इंजीनियर, डाटा इंजीनियर, बैकएंड डेवलपर, डेवलपमेंट आपरेशंस इंजीनियर, फ्रंट एंड डेवलपर, फुल स्टैक डेवलपर, क्लाउड सिस्टम्स एडमिनिस्ट्रेटर, क्लाउड सर्विस डेवलपर, क्लाउड आर्किटेक्ट, क्लाउड कंसल्टेंट, क्लाउड प्रोडक्ट मैनेजर, क्लाउड सिक्योरिटी स्पेशलिस्ट के रूप में कार्य कर सकते हैं। टीसीएस, इंफोसिस, एचसीएल, टेक महिंद्रा जैसी कंपनियां इनके विशेषज्ञों को बड़े पैमाने पर नियुक्त करती हैं।
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इस क्षेत्र में रोजगार और आय के असीमित अवसर हैं। नवप्रवेशी विशेषज्ञ को शुरूआती वर्षों में 7-9 लाख रुपए प्रतिवर्ष की सैलरी आसानी से प्राप्त हो जाती है। अनुभव बढ़ने के साथ साथ आय में भी गुणात्मक रूप से वृद्धि होती है। स्वतंत्र रूप से काम करने और अपने हिसाब से आय अर्जित करने का भी बहुत स्कोप है।
इन यूनिवर्सिटी में होती है क्लाउड कंप्यूटिंग की पढ़ाई
क्लाउड कंप्यूटिंग की बढ़ती मांग को देखते हुए आइआइटी रुड़की, आईआईटी गुवाहाटी, आईआईटी हैदराबाद, आईआईटी इंदौर, आईआईटी वाराणसी (बीएचयू), आईआईटी कानपुर, आईआईटी बांबे के साथ ही नई दिल्ली के डीटीयू, बंगलुरु के प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय, जालंधर के एलपीयू, बरेली के एन्वर्टिस विश्वविद्यालय और चेन्नई के एसआरएम यूनिवर्सिटी में पढ़ाई होती है।