केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा 10वीं कक्षा की परीक्षा साल में दो बार आयोजित कराने वाले मसौदे को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की मंजूरी मिल जाने के बाद 2026 से 10वीं के एग्जाम साल में दो बार आयोजित होंगे। बोर्ड के इस नियम पर पंजाब सरकार ने आपत्ति उठाई थी, लेकिन बोर्ड के अंतर्गत परीक्षा देने वाले छात्रों ने इस फैसले का स्वागत किया है। कई स्कूलों के प्रधानाचार्यों ने भी इस कदम का स्वागत किया है।
9 मार्च तक इस मसौदे पर दे सकते हैं प्रतिक्रिया
अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने 2026 से वर्ष में दो बार 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा आयोजित करने के मसौदा मानदंडों को मंगलवार को मंजूरी दे दी। उन्होंने कहा कि इन मसौदा मानदंडों को अब सार्वजनिक किया जाएगा और हितधारक नौ मार्च तक अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं, जिसके बाद नीति को अंतिम रूप दिया जाएगा।
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साल में दो बार 10वीं की परीक्षा पर आने वाले रिएक्शन
द्वारका के आईटीएल इंटरनेशनल स्कूल की प्रधानाचार्य सुधा आचार्य ने कहा है कि साल में दो बार 10वीं की परीक्षा का मसौदा छात्र-छात्राओं के अनुकूल है क्योंकि इसमें कई विकल्प उपलब्ध हैं, जिससे परीक्षा का दबाव कम होता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई छात्र पहली परीक्षा में मानक गणित लेता है और उसे यह कठिन लगता है, तो वह दूसरे प्रयास में बुनियादी गणित का विकल्प चुन सकता है और अधिक आसानी से उत्तीर्ण हो सकता है।
ITL स्कूल के आठवीं कक्षा के एक छात्र ने पीटीआई के साथ बातचीत में कहा है कि चूंकि दोनों परीक्षाओं के सर्वश्रेष्ठ अंकों पर विचार किया जाएगा, इसलिए हम अपनी रणनीति बना सकते हैं। मैं पहली परीक्षा में गणित, अंग्रेजी और विज्ञान पर और अगली परीक्षा में अन्य विषयों पर ध्यान केंद्रित कर सकता हूं।
नौवीं कक्षा के एक छात्र ने कहा है कि यह सिस्टम हमें अधिक अवसर प्रदान करेगा। यदि मैं पहले प्रयास में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाता हूं तो मैं अगली परीक्षा में पुनः प्रयास कर सकता हूं।
टीचर्स पर बढ़ जाएगा बोझ
मयूर विहार स्थित विद्या बाल भवन स्कूल के प्रधानाचार्य एसवी शर्मा ने बताया कि नई प्रणाली से छात्रों का तनाव तो कम होगा, लेकिन इससे शिक्षकों पर काम का बोझ बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को फरवरी में बोर्ड की कॉपियों का मूल्यांकन करना होगा, मार्च में निचली कक्षाओं के लिए वार्षिक परीक्षा आयोजित करनी होगी और उत्तर पुस्तिकाओं की जांच करनी होगी तथा फिर मई में दूसरी बोर्ड परीक्षा की देखरेख करनी होगी। इस प्रणाली से शिक्षकों की गर्मियों की पड़ने वाली छुट्टियां कम हो सकती हैं।