जीका वायरस की वजह से फैल रही बीमारी की चपेट में पूरे लैटिन अमेरिका और युनाइटेड स्टेट्स के कुछ राज्यों के आने के बाद वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) ने ग्लोबल अलर्ट जारी किया है। संगठन ने माना है कि इस बीमारी से निपटने के लिए पूरी दुनिया को एक साथ आना होगा। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि यह बीमारी अप्रत्याशित तेजी से फैल सकती है, जिसके बेहद गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं। इस वायरस के इन्फेक्शन में आने से माइक्रोसिफेली की समस्या उत्पन्न होती है। इसमें छोटे सिर और अविकसित दिमाग वाले बच्चे पैदा होते हैं।इस वायरस की चपेट में आने से एक लकवे से जुड़ी बीमारी गुलियन बेरे सिंड्रोम होने की बात भी सामने आई है, लेकिन इसकी तादाद बेहद कम है। बता दें कि सिर्फ ब्राजील में अक्टूबर से लेकर अब तक माइक्रोसिफेली के 4 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। कुल 20 देश इसकी चपेट में हैं।
2007 से ग्लोबल इमरजेंसी से जुड़ी प्रक्रियाएं शुरू होने के बाद से ऐसा चौथी बार किया गया है। इससे पहले, जिन बीमारियों को लेकर इस इमरजेंसी का एलान किया गया है, वे हैं-इन्फ्लुएंजा, इबोला और पोलियो। डब्ल्यूएचओ ने जीका के अलर्ट को उसी श्रेणी में रखा है, जिसमें इबोला वायरस से फैलने वाली बीमारी को भी रखा गया है। डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर जनरल मारगरेट चान ने जीका के फैलने को ”अभूतपूर्व घटना” बताते हुए साथ मिलकर काम करने की अपील की है। चान ने इसे इंटरनेशनल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी का एलान कर दिया है। चान के मुताबिक, लोगों को गर्भवती महिलाओं और उनके बच्चों को बचाने के अलावा इस वायरस को फैलाने वाले मच्छरों से भी निपटना होगा। बता दें कि अभी तक जीका वायरस से जुड़ी कोई दवा या वैक्सीन तैयार नहीं हो पाई है। इससे बचने का तरीका यही है कि खुद को एडीज मच्छर के काटने से बचाएं, जो इस वायरस के फैलने के लिए जिम्मेदार है।
भारत को क्यों होना चाहिए अलर्ट
ताजा हालात के बाद भारतीय अधिकारियों ने गर्भवती महिलाओं को सलाह दी है कि वे वायरस से प्रभावित देशों की यात्रा पर न जाएं। वहीं, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने सोमवार को एक हाईलेवल मीटिंग की। उन्होंने बताया कि जीका वायरस को लेकर प्रस्तावित विस्तृत गाइडलाइंस और डब्ल्यूएचओ की ओर से बुलाई गई इमरजेंसी मीटिंग के निष्कर्षों को लेकर चर्चा हुई। नड्डा ने कहा कि भारत जल्द ही गाइडलाइंस जारी करेगा। बता दें कि इस बीमारी को लेकर भारत के लिए चिंताएं ज्यादा हैं। 50 के दशक में भारत में यह बीमारी फैल चुकी है। बीबीसी की रिपोर्ट में पुणे की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) की स्टडी का हवाला देते हुए यह बताया गया है। एनआईवी की एक टीम ने 1953 में एक रिसर्च पेपर पब्लिश किया था। उन्होंने कीटों से होने वाली बीमारियों को लेकर किए गए प्रयोग के आधार पर यह पेपर जारी किया था। इन बीमारियों में से एक जीका वायरस भी था। यह पाया गया कि 50 के दशक में ‘ठीक-ठाक’ संख्या में लोग इस बीमारी से पीडि़त हुए। 1954 में नाइजीरिया में मानव में पहली बार इस बीमारी के पाए जाने से काफी पहले। भारतीय वैज्ञानिकों ने उस वक्त इस बीमारी को ज्यादा तवज्जो इसलिए नहीं दी क्योंकि इसके पीडि़त लोगों को हल्का बुखार होता था और शरीर पर हल्के चकत्ते पड़ते थे।
ओलंपिक पर भी खतरा
ब्राजील में इसी साल होने वाले ओलंपिक खेलों पर भी इस बीमारी को लेकर खतरा पैदा हो गया है। जहां टूरिस्ट्स इस बीमारी की वजह से ब्राजील से दूरी बना रहे हैं, वहीं एथलीट्स के मन में भी डर पैदा हो रहा है। ब्राजील में कोच अपने प्लेयर्स को ठहरे हुए पानी से दूरी बरतने कह रहे हैं। साथ ही उन्हें घरों के अंदर रहने को कहा है।
लक्षण और कैसे फैलता है
शरीर पर लाल निशान, बुखार, सिरदर्द और आंखों में सूजन इससे प्रभावित होने के सामान्य लक्षण हैं। वैज्ञानिक जांच में पता चला है कि इसे फैलाने में डेंगू, चिकुनगुनिया जैसे बीमारी फैलाने वाले मच्छर एडीज इजिप्टी ही जिम्मेदार हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, जीका वायरस से प्रदूषित खून के शरीर में पहुंचने की वजह से बीमारी फैलती है। हालांकि, ऐसा ब्लड डोनेशन के जरिए होना मुमकिन नहीं है, क्योंकि ब्लड ट्रांसमिशन के लिए दुनिया भर में बेहद सेफ तरीके अपनाए जाते हैं।
वायरस से जुड़ी अन्य अहम बातें
जीका वायरस की पहली बार पहचान 1947 में हुई। बाद में ये कई बार छोटे पैमाने पर अफ्रीका और साउथ ईस्ट एशिया के कुछ हिस्सों में फैला। जीका वायरस के बारे में पहली बार ब्राजील में बीते साल मई में पता चला। बाद में अज्ञात कारणों से यह ब्राजील में तेजी से फैला। यहां करीब डेढ़ लाख लोग इस वायरस से प्रभावित हैं। अक्टूबर महीने तक जीका को लेकर कोई ज्यादा डर भी नहीं था। इससे प्रभावित होने वाले 100 में से 20 लोग ही बीमार पड़ते थे। बाद में इस तरह के सबूत मिले कि इस वायरस की वजह से पैदा होने वाले बच्चों में शारीरिक दोष और न्यूरोलॉजिकल समस्याएं हैं। अक्टूबर से लेकर अब तक ब्राजील में 3500 से ज्यादा छोटे सिर और अविकसित दिमाग वाले बच्चे पैदा हुए हैं। एल सेल्वाडोर, कोलंबिया और इक्वेडोर ने देश की महिलाओं से कहा कि वे 2018 तक गर्भवती होने से परहेज करें। अमेरिका ने भी अपनी महिलाओं को उन देशों में जाने से परहेज करने को कहा है, जहां ये वायरस तेजी से फैल रहा है। अमेरिका और दूसरे देश इस वायरस की वैक्सीन बनाने में जुट गए हैं।