देश में वाहन चालकों को बेहतर प्रशिक्षण देने के लिए केंद्र सरकार नए अत्याधुनिक वाहन प्रशिक्षण केंद्र तैयार करेगी। इन केंद्रों में नए वाहन चालकों को विशेषज्ञों की मदद से प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि भविष्य में सड़क हादसों की संख्या में कमी लाई जा सके। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने यह कार्ययोजना तैयार की है और देश के दस राज्यों में ऐसे केंद्र स्थापित करने के दिशा निर्देश जारी किए हैं। इस पायलट परियोजना के लिए मंत्रालय की तरफ से राज्य सरकारों को आर्थिक सहायता दी जाएगी।
दिशानिर्देश में बताया गया है कि दुनिया में 13.5 लाख लोग सड़क दुर्घटना में मरते हैं और पांच करोड़ लोग घायल हो जाते हैं और उनमें से बहुत सारे स्थायी तौर पर अपंग हो जाते हैं। इन नए केंद्रों में नए चालकों को प्रशिक्षण मिलेगा और इससे ऐसे हादसों को कम करने में मदद मिलेगी। नए केंद्रों पर तकनीक के माध्यम से सभी जांच और व्यवस्थाओं को सीखा-समझा जा सकेगा। वर्तमान में परिवहन केंद्रों पर व्यवस्थाओं में कई प्रकार की खामियां है। इन केंद्रों पर जांच उपकरणों और यहां वहां पहुंचने वाले लोगों को बेहतर प्रशिक्षण की भी कमी है।
प्रशिक्षण केंद्र इन कमियों को पूरा करने में राज्य सरकारों की मदद करेंगे। आने वाले पांच साल में इन व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जाएगा। इन केंद्रों पर वाहनों की फिटनेस जांच की सुविधा होगी, जो राज्य सरकारों द्वारा तय शुल्क के आधार पर वसूला जाएगा। इन केंद्रों की जानकारी राज्य के अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे, इसके लिए राज्य सरकारें स्कूल, कालेज और अन्य शिक्षण संस्थानों में जागरूकता अभियान चलाएगी, ताकि युवाओं को प्रशिक्षण के इन केंद्रों की सही जानकारी उपलब्ध हो सके। इसके लिए ई-मेल, एसएमएस समेत अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म की मदद ली जाएगी।
इन दस राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों यानी अरुणाचल प्रदेश, असम, गोवा, मणिपुर, तमिलनाडु, त्रिपुरा, अंडमान निकोबार, दादरा व दमनद्वीव, लद्दाख और लक्ष्यद्वीप में पायलट प्रोजेक्ट चलेगा। इस योजना को लागू करने के लिए केंद्र सरकार राज्यों को आर्थिक सहायता प्रदान करेगी। इस धनराशि में राज्यों को चार लेन मार्ग के साथ केंद्र को स्थापित करना होगा, जो सभी प्रकार के जरूरी उपकरणों से सुसज्जित होगा। इन केंद्रों का संचालन दो साल के लिए दो पाली में किया जाएगा और इन्हें राज्यों के परिवहन विभाग से जोड़ा जाएगा।