Delhi MCD: दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति को लेकर बुधवार शाम से गुरुवार सुबह तक हुए हंगामे के बाद यह सवाल मौजूं है कि आखिर निगम की पहली सदन की बैठक में महापौर और उपमहापौर के चुनाव के बाद स्थायी समिति के छह सदस्यों के चुनाव में इतना बवाल क्यों मचा? स्थायी समिति हर सदन चाहे वह देश की संसद हो, राज्यों की विधानसभा हो या निगम की हो बेहद ताकतवर होती है।
छह सदन से और 12 जोन से आने वाली 18 सदस्यों वाली स्थायी समिति ही निगम के अधिकतर फैसले लेती है चाहे वो आर्थिक हों या प्रशासनिक। इस समिति से ही सभी तरह के प्रस्तावों को सदन से पास करवाने के लिए भेजा जाता है। इस तरह स्थायी समिति के अध्यक्ष का पद काफी शक्तिशाली हो जाता है और पूरे निगम पर इसका दबदबा होता है।
ऐसे में आम आदमी पार्टी महापौर और उपमहापौर पद हासिल करके भी अपने प्रस्ताव स्थायी समिति से पास नहीं करवा सकेगी। इसीलिए दोनों पार्टियां स्थायी समिति पर अपने कब्जे के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं। दिसंबर में निगम के चुनाव हुए और फिर परिणाम आने के बाद दो महीने बाद भी महापौर व उप महापौर के चुनाव नहीं हो सके। आखिर में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बुधवार को चुनाव तो कराए गए लेकिन स्थायी समिति के सदस्यों के दौरान अभूतपूर्व हंगामा देखने को मिला।
दरअसल आम आदमी पार्टी की सबसे बड़ी चिंता ये है कि महापौर और उपमहापौर दोनों ही चुनाव में उसके कुछ पार्षदों ने भाजपा के लिए क्रास वोटिंग की है। अगर ऐसा ही रहा तो ‘आप’ छह में से जो चार सीटें जीत रही थी, वह उससे कम सीट जीतेगी और फिर बहुमत का सारा गणित बिगड़ जाएगा। मनोनीत पार्षदों के बल पर भाजपा बारह में से सात जोन में अपनी बढत का दावा कर रही है। साथ ही अगर क्रास वोटिंग हुई तो सदन द्वारा चुने जाने वाले छह सदस्यों में भी भाजपा उलटफेर कर सकती है।
स्थायी समिति में 18 में से 12 सदस्यों को अलग-अलग जोन से चुनकर लाया जाता है। जोन की बैठक में मनोनीत पार्षदों को भी वोटिंग का अधिकार मिल जाता है। इस समय निगम के 12 जोन में भाजपा को दो जोन में और आप को तीन जोन में स्पष्ट बहुमत है। इसी तरह मध्य जोन में ‘आप’ के तेरह और भाजपा के दस पार्षद हैं। यहां भाजपा के पक्ष में दो मनोनीत सदस्य हैं। यहां कांग्रेस के दो पार्षद हैं।
भाजपा का दावा है कि कांग्रेस और मनोनीत मिलाकर उसकी जीत तय है। सिविल लाइंस में भी मनोनीत को मिलाकर भाजपा बढ़त का दावा कर रही है। इस हिसाब से अगर सात जोन में भाजपा खुद को आगे बता रही है तो तय है कि सदन में अगर वह क्रास वोटिंग से जीत जाती है तो स्थायी समिति पर भाजपा का कब्जा हो जाएगा। आम आदमी पार्टी जानती है कि ऐसी स्थिति में वह अपना महापौर और उप महापौर होने के बावजूद बेबस और असहाय हो सकती है। लिहाजा दोनों पार्टियां स्थायी समिति पर कब्जे के लिए जी-जान लड़ा रही हैं।