योग गुरु बाबा रामदेव के देश के पहले वैदिक शिक्षा बोर्ड बनाने के प्रस्ताव को तगड़ा झटका लगा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई बैठक में स्कूल शिक्षा सचिव एससी खूटिंया ने इस प्रस्ताव पर गंभीर चिंताएं जाहिर की और इसे खारिज कर दिया। खूंटिया ने तर्क दिया कि इस प्रस्ताव को हरी झंडी दी तो फिर गैर मान्यता प्राप्त कई अन्य स्कूल बोर्ड भी अपने प्रस्तावों को लागू करने की मांग करने लगेंगे। वर्तमान में किसी प्राइवेट बोर्ड को केंद्र से मान्यता नहीं है।
सूत्रों ने बताया कि बाबा रामदेव के इस प्रस्ताव पर विचार करने के लिए पीएम मोदी ने उच्च शिक्षा और स्कूल शिक्षा के सचिवों की बैठक बुलाई है। इस बैठक में मानव संसाधन मंत्रालय का रूख जाना जाएगा। यह प्रस्ताव बाबा रामदेव के पतंजलि योगपीठ के वेदिक शिक्षा अनुसंधान संस्थान ने रखा था। इसके अनुसार वेदिक शिक्षा बोर्ड मान्यता प्राप्त स्कूलों को परंपरागत गुरुकुल और आधुनिक पाठ्यक्रम के मिश्रण वाली शिक्षा की अनुमति देगा।
खूंटिया ने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि वेदिक शिक्षा बोर्ड खुद पाठ्यक्रम बनाना चाहता है और परीक्षाएं भी आयोजित करना चाहता है। इससे छात्रों को दूसरे बोर्ड में जाने में परेशानी हो सकती है। एक सूत्र ने बताया,’ बाबा रामदेव के प्लान के अनुसार मान्यता प्राप्त स्कूलों में अध्यापक नियुक्त करने की गाइडलाइंस भी वे ही जारी करें। यह अधिकार वर्तमान में नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन के पास है।’
रामदेव के प्लान के जवाब में स्कूली शिक्षा विभाग ने सुझाव दिया कि इसके बजाय केंद्र सरकार को उज्जैन के महर्षि संदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान को वेदिक व संस्कृत स्कूलों में परीक्षा कराने और वेद व संस्कृत पाठशालाओं को मान्यता देने का अधिकार दिया जाना चाहिए। महर्षि संदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान को एचआरडी मंत्रालय की अनुमति भी है। अब बाबा रामदेव के प्रस्ताव की किस्मत का फैसला पीएम मोदी के हाथों में हैं। खूंटिया ने बताया,’ मैं इस मामले में बोलने के लिए अधिकृत नहीं हूं। बैठक पीएमओ ने बुलाई थी तो आप वहीं बात कीजिए।’