प्ररेणा मल्होत्रा, विपिन मल्होत्रा

बधाई, प्रोफेसर! आपका बेटा का सपना पूरा हो गया है। आपने 23 फरवरी को इंडियन एक्सप्रेस के एक लेख में उमर खालिद को अपना बेटा घोषित किया था। आपने लिखा था, ‘मेरे बेटा नहीं है। मेरी केवल एक बेटी है।’ तो आखिरकार आपको 28 साल का बेटा मिल ही गया, जो कि पहले से ही एक आइडल बेटा है। जैसा की आपने लिखा, ‘हर माता-पिता की उमर जैसा बेटा होने की इच्छा होनी चाहिए और उस पर गर्व होना चाहिए।’

क्या सच में? क्या आप सोचते हैं कि आप इस देश के सभी माता-पिताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं? प्रोफेसर साहब, अगर इस देश के सभी माता-पिता आपकी तरह सोचने लगे तो यह मिट्टी कभी भी लांस नायक हनुमनथप्पा जैसे बेटे नहीं देख पाती। जो उस वक्त मौत से जंग हार गए, जब उमर और उसके दोस्त ‘भारत की बर्बादी’ के नारे लगा रहे थे। अगर सभी माता-पिता आपकी तरह सोचने लगते तो कश्मीर कभी भी भारत का हिस्सा नहीं होता। न केवल कश्मीर बल्कि दूसरे राज्य भी भारतीय गणराज्य के साथ नहीं आते।

इसलिए आपके लिए एक दोस्ताना सुझावः नए-नए पिता बनने की खुशी मनाएं लेकिन अन्य माता-पिता को इस कपट से दूर रखिए। इससे भारतीय माता-पिता की भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है।

आपने पूछा कि अगर उमर जैसा नहीं तो यूथ को कैसा होना चाहिए? आप एक टीचर के नाते अपने छात्रों को यह पढ़ा रहे हैं? क्या आप उमर को यूथ का आइकन बनाने की कोशिश कर रहे हैं? क्या उमर खालिद के अलावा कोई और इस लायक नहीं है? भगवान का शुक्रिया है कि देश के ज्यादात्तर टीचर आपकी तरह ‘सुपर इंटेलेक्चुअल’ नहीं है। वरना वे, उनके छात्र और ‘बेटे’ इस देश को बर्बाद कर देते, जो कि जेएनयू में नारे लगाने वालों की इच्छा है।

उमर की तारीफ करते हुए आपने उसे ‘अल्ट्रा माओस्ट’ करार दिया था, जो कि लगातार लेफ्ट विचाधारा की ओर बढ़ रहा है। अब गोद लेने के मापदंड़ का खुलासा हो चुका है। अब हमे समझ में आ गया कि आप उस युवक के लिए इतनी हमदर्दी क्यों दिखा रहे हैं, जिससे अभी तक आप मिले नहीं है। उसका उस माओ का समर्थन, जो कि चीन में लाखों लोगों के कत्ल के लिए जिम्मदेार है, उसके ‘ब्लीडिंग हर्ट’ में रोशनी जगाता है।

क्या आप बता सकते हैं कि आपका बेटा किसके लिए और किसके खिलाफ विद्रोह कर रहा है। अगर वह हमारी मां के खिलाफ विद्रोह कर रहा है और उसके बंटवारे के सपने देखा रहा है। तो उसे और उसके दोस्तों को नतीजों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। यह सामान्य भारतीय माता-पिता की असंख्य उमर और अफजल को चेतावनी है।

आपने कहा कि ‘उमर नाम से उमर है, लेकिन वह मुस्लिम नहीं है।’ तो क्यों आपके कामरेड दोस्त मुस्लिम कार्ड खेल रहे हैं, जैसे वे अकसर दलित कार्ड और अन्य कार्ड खेलते रहते हैं।

आपने इस देश को चेतावानी दी जो कि इसके कन्हैया और उमर के साथ खड़ा नहीं है, जो कि उनके द्वारा दी की गई चेतवानी को सहन नहीं कर सकता, जो कि सवाल उठाने पर उन्हें सजा देता है। लेकिन आप गलत हैं प्रोफेसर अपूर्वानंद, न तो कन्हैया, न उमर और न ही आप इस देश की संप्रभुत्ता को चैलेंज नहीं कर सकते। अगर यह देश अपने बच्चों को प्यार करना जानता है तो यह अपने आंतरिक और बाहरी दुश्मनों को अच्छे से रौंदना भी जानता है।

आखिर में हम आशा करते है कि उमर के असली पिता को एक यूनिर्सिटी के प्रोफेसर द्वारा उनके बेटे को गोद लेने पर कोई एतराज नहीं होगा। आखिरकार जैसे आपकी एक बेटी है, वैसे ही उनकी पांच बेटियां हैं। व्यक्तिगत तौर पर हम बेटियों की निर्भयता को नजरअंदाज नहीं कर सकते।

एक अन्य बात जो हमें चौंका रही है वह है कि आपने उमर खालिद की जगह अफजल गुरु को गोद क्यों नहीं लिया? उमर खालिद को अभी अफजल गुरू बनने के लिए बहुत कुछ करना पड़ेगा। इसके अलावा अफजल एक बड़ा ‘हीरो’, एक महान ‘आइकॉन’ है। इसलिए वह एक सुपर इंटेलेक्चुअल प्रोफेसर द्वारा गोद लेने के लिए मजबूत दावेदार है।

ऐसे सवाल पूछने और सुझाव देने के दुस्साहस करने पर कृपया हमें माफ कर देना। देशद्रोह जैसे गंभीर आरोप में पहले से पुलिस हिरासत में मौजूद युवक पर आपके दावे पर हमें नहीं बोलना चाहिए था। आखिरकार यह पारिवारिक मामले में आपकी पसंद है।

(प्ररेणा मल्होत्रा, राम लाल आनंद कॉलेज, दिल्ली में अंग्रेजी की प्रोफेसर हैं। विपिन मल्होत्रा श्री अरबिंदो कॉलेज, दिल्ली में पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर हैं )