भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाली आगामी एनएसए स्तर की बातचीत के टलने के आसार लग रहे हैं क्योंकि दोनों ही पक्ष कश्मीर के पृथकतावादी नेताओं के मुद्दे को लेकर उलझ गए हैं।
भारत ने साफ तौर पर कह दिया है कि पृथकतावादियों और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सरताज अजीज के बीच किसी तरह की बातचीत को स्वीकार नहीं किया जाएगा। इस संबंध में पाकिस्तान को स्पष्ट संकेत देते हुए कश्मीर के पृथकतावादी नेताओं को कल कुछ देर के लिए नजरबंद करने के बाद रिहा कर दिया गया था।
अजीज भारत के अपने समकक्ष अजित डोभाल से बातचीत करने के लिए रविवार को यहां पहुंच रहे हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा, ‘‘भारत ने कल पाकिस्तान को मश्वरा दिया था कि सरताज अजीज का भारत में हुर्रियत नुमाइंदों से मिलना मुनासिब नहीं होगा। ऐसी कोई बैठक आतंकवाद के खात्मे के लिए मिलकर काम करने के उफा संकल्प की भावना के अनुरूप नहीं होगी।’’
इसके कुछ ही घंटे के भीतर पाकिस्तान के सरकारी सूत्रों ने भारत की स्थिति पर तीखी प्रतिक्रिया प्रकट करते हुए कहा, ‘‘हुर्रियत के साथ बातचीत जारी है। पाकिस्तान भारत से आदेश नहीं लेगा। :भारत पाक: वार्ता सशर्त कूटनीति पर आधारित नहीं है।’’
पाकिस्तान ने भारत पर बातचीत से बचने का आरोप लगाते हुए कहा कि उसने अब तक अजीज..डोभाल बातचीत के एजेंडा और संबंधित इंतेजामात पर प्रस्ताव तक नहीं भेजा है।
दोनो पक्षों के कठोर रूख के चलते बातचीत पर अनिश्चय की गर्द दिखाई देने लगी है, लेकिन किसी भी पक्ष ने अभी बातचीत से इंकार नहीं किया है।
दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों का आतंकवाद से जुड़े मसलों पर पहली बार बातचीत के लिए 23 अगस्त को मुलाकात का कार्यक्रम है। रूस के उफा में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के उनके समकक्ष नवाज शरीफ के बीच पिछले महीने इस संबंध में फैसला हुआ था।
यहां पाकिस्तान के उच्चायुक्त ने सैयद अली शाह गिलानी और कश्मीर के अन्य पृथकतावादी नेताओं को रविवार को अजीज से मुलाकात का न्यौता देकर भारत सरकार को फिर छेड़ दिया, हालांकि पाकिस्तान इस बात पर अड़ा हुआ है कि इस तरह की मुलाकातें अकसर होती हैं।
इस्लामाबाद में पाकिस्तान का विदेश विभाग पहले ही कह चुका है कि हुर्रियत नेताओं के साथ विचार विमर्श ‘‘नियमित मामला है’’ और ‘‘लंबे समय से चला आ रहा है’’।
पृथकतावादी नेताओं को पाकिस्तान के न्यौते को भारतीय पक्ष एक और ‘‘उकसावे’’ के तौर पर देख रहा है, जो सीमा पर संघर्षविराम के लगातार उल्लंघन और हाल के हफ्तों में गुरदासपुर और उधमपुर में दो आतंकी हमलों के बाद सामने आया है। दोनो देशों की सियासत के जानकार इसे भारत के साथ किसी तरह की बातचीत के प्रति पाकिस्तानी सेना के विरोध के तौर पर देख रहे हैं।
पिछले साल भारत ने दोनो देशों के बीच प्रस्तावित विदेश सचिव स्तर की बातचीत को रद्द कर दिया था क्योंकि यहां भारतीय उच्चायुक्त ने इस्लामाबाद में होने वाली इस बैठक से ठीक पहले कश्मीर के पृथकतावादी नेताओं के साथ ‘मश्वरा’ किया था।