दिल्ली की केजरीवाल सरकार के निशाने पर रहे IAS अफसरों का दिल्ली से बाहर तबादला हो गया है। इनमें शकुंतला गैमलिन, अनिन्दो मजूमदार, एस एन सहाय, अश्विनी कुमार जैसे अधिकारी शामिल हैं, जिनका कई मौकों पर केजरीवाल सरकार के साथ टकराव हो चुका है। इतना ही नहीं, केजरीवाल सरकार की पसंद माने जाने वाले रमेश नेगी की दिल्ली में वापसी हुई है, जबकि केजरीवाल सरकार की चहेती पद्मिनी सिंगला का तबादला भी रोक दिया गया है। सोमवार को जारी हुई लिस्ट में AGMUT कैडर के लगभग 3 दर्जन IAS अधिकारियों का तबादला किया गया है।

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AGMUT कैडर अरुणाचल प्रदेश, गोआ, मिजोरम और दिल्ली सहित सभी केंद्र शासित प्रदेशों में तैनात अधिकारियों के कैडर को कहते हैं। ये तबादले केंद्रीय गृह मंत्रालय करता है। पिछले साल पावर सेक्रेटरी शकुंतला गैमलिन को कार्यवाहक चीफ सेक्रेटरी नियुक्त करने को लेकर LG से शुरू हुए झगड़े में मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने एक रैली में सरेआम गैमलिन पर आरोप लगाए थे। सर्विसेज डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल सेक्रेटरी अनिन्दो मजूमदार के ऑफिस में तो केजरीवाल सरकार ने ताला तक लगवा दिया था।

इसी तरह कुछ हफ्ते पहले गृह विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी एस एन सहाय को निशाने पर लेते हुए मंत्री सतेंद्र जैन ने निचले अधिकारियों को आदेश दिया था कि फाइलें सहाय के पास भेजने के बजाय सीधे मंत्री को भेजी जाएं। तबादले के बाद शकुंतला गैमलिन को अरुणाचल प्रदेश का चीफ सेक्रेटरी तो वहीं अनिन्दो मजूमदार को अंडमान निकोबार का चीफ सेक्रेटरी बनाया गया है। एस एन सहाय और अश्विनी कुमार को गोवा भेजा गया है। वहीं, अरुणाचल प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी रमेश नेगी दिल्ली भेजे गए हैं। नेगी केजरीवाल की पसन्द माने जाते हैं। केजरीवाल ने उन्हें दिल्ली में चीफ सेक्रेटरी के तौर पर लाने कोशिश पहले भी की थी। उनके अलावा अंडमान निकोबार के चीफ सेक्रेटरी आनंद प्रकाश को का भी दिल्ली ट्रांसफर किया गया है। महत्वपूर्ण बात ये भी है कि केजरीवाल सरकार की गुडबुक में शामिल एडुकेशन डायरेक्टर पद्मिनी सिंगला का जुलाई में हुआ तबादला रोक दिया गया है. वो पहले की तरह ही दिल्ली में कार्यरत रहेंगी. सूत्रों के मुताबिक सिंगला का ट्रांसफर रुकवाने के लिए केजरीवाल सरकार ने केंद्र को चिठ्ठी भी लिखी थी।

तबादले की लिस्ट देख कर तो यही लगता है कि ये केजरीवाल सरकार के अनुकूल है। हालांकि ये ट्रांसफर उन अधिकारियों के भी अनुकूल नजर आता है जो केजरीवाल सरकार से पिंड छुड़ाना चाह रहे थे। दरअसल केंद्र शासित प्रदेश होने की वजह से दिल्ली सरकार में अधिकारों को लेकर मुख्यमंत्री केजरीवाल और LG नजीब जंग में कई बार पेंच फंस चुका है, जिसका खामियाजा अधिकारियों को उठाना पड़ता है।