नरपतदान चारण
हर त्योहार के अपने मायने हैं। और इस तरह होली का त्योहार जीवन में परमानन्द की अनुभूति के समावेश का अवसर उपलब्ध करवाता है। पूरे वर्ष जिंदगी की भागमभाग से थका हारा इनसान कुछ वक्त आनंद के पलों में डूबना चाहता है, कुछ हंसना, कुछ खिलखिलाना चाहता है और वह पल है होली का दिवस। मगर इतना ध्यान रखें कि किसी दुकान से रंग खरीदकर किसी के चेहरे पर पोतने मात्र से इसका संबंध न निकालना।
इसमें रंग तो गौण है। रंग तो बहाना है। असली मकसद तो अंतस के उत्साह में छिपा है। इसका गूढ़ अर्थ तो यह है कि रंग लगाने का तो केवल एक बहाना ढूंढ़ों। किसी अपने, किसी पराए के दिल में मुसकान लाने की नियत से थोड़ी नटखट सी शरारत कर दो। बस थोड़ी याराना सी मसखरी कर दो। गालों पर गुलाल की गुदगुदी कर दो। उनके अंतस के तार-तार में अबीर के आनंद का स्वर भर दो। उन्हें भीतर से हंसने का एक मौका दो। आपस में सब मस्ती में इतने खो जाओ कि किसी दु:ख दर्द का अहसास नजदीक तक न फटके।
यूं तो इस पावन पर्व के पीछे तमाम धार्मिक मान्यताएं, मिथक, परंपराएं और ऐतिहासिक घटनाएं भी छुपी हैं ही। और उन सब का अपना महत्त्व भी है। परंतु अंतत: इसका मूल भाव मानव कल्याण और आंनद ही है। अध्यात्म के लिहाज से होली का त्योहार रंग, राग, उमंग, उत्साह और सामाजिक समरसता का अनुपम संयोजन है। होली रंग है और जहां रंग है वहां अनुराग है, राग है, प्रेम है। और साहित्य में अनुराग का रंग भी लाल माना गया है। तो साहित्य के लिहाज से यह प्रकृति के शृंगार का, अभिसार का उत्सव है। साथ ही यह स्वच्छता, सौंदर्य, सामाजिक सद्भाव, प्रेम के आदान प्रदान और जीवन में मिठास, मधुरता का महोत्सव है।
इन सब के इतर इसके अपने कुछ और मायने भी हैं। यह पर्व जीवन में नकारात्मकता और नीरसता को मिटाकर उसमें मधुरता और स्नेह का संचार कराता है। रंग के बहाने से सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह में सबको तैरने का सलीका सिखा ही देता है। और हां ,यह तो भूलना ही मत कि यह पर्व तो एक खेल भी है और यह खेल है उमंग और प्यार का। तुम जी भर के प्यार से खेलो। अकेले नहीं सब मिलकर खेलो। अपनत्व और स्नेह की लहर में डूब जाओ। ..सार रूप में कहने का मतलब हुआ कि यह दिन भ्रातृत्व और प्यार का मेला है, यह खुशियां बांटने का शुभ अवसर है, इसे हाथ से मत जाने दो।
याद रखना, अगर इसी तरह तुम मिलकर रहोगे। मिलकर हंसते-गाते नाचोगे कूदोगे, तो जीवन में उदासी के मौके अवश्य ही कम आएंगे। तो इस होली उनके जीवन में आनंद लाएं, जिनके जीवन के रंग फीके हैं। तो इस होली पर तुम यह भी प्रण लो कि इस दिन आप किसी गरीब, किसी जरूरतमन्द के चेहरे पर भी मुस्कान लाओगे। वो भी केवल रंग से नहीं बल्कि उसकी कोई जरूरत पूरी करके। कुछ अनाज, कुछ मिठाई, कुछ वस्त्र बांटकर।..तब देखना उत्साह दुगुना हो जाएगा। तुम्हारा हृदय भीतर से आनंदानुभूति से भर जाएगा…और वह आनंद स्थायी होगा।
