आरती सक्सेना

सदाबहार सितारे अनिल कपूर 61 साल के हैं पर आज भी वे 25 साल पहले जैसे नजर आते हैं। हाल में उन्होंने रेस 3 में अपनी धमाकेदार वापसी की। अब वे फिल्म ‘फन्ने खां’ लेकर आ रहे हैं। इसकी कहानी अपने क्षेत्र में विफल बाप-बेटी के रिश्तों पर टिकी है। यह मनोरंजन के साथ संदेश भी देती है। अनिल कपूर ने इस फिल्म और अपने सदाबहार बने रहने को लेकर कई बातें बताईं…

सवाल : आपके अभिनय करिअर में एक और फिल्म फन्ने खां का आगाज कैसे हुआ? पहले आप इस फिल्म को करना नहीं चाहते थे?
’हां, यह सच है। तकरीबन चार-पांच साल पहले जब राकेश मेहरा यह फिल्म लेकर आए थे, तब मुझे इस फिल्म ने कतई प्रभावित नहीं किया। जब मिर्जा फिल्म बन रही थी तब इस फिल्म के वितरक रोहित ने मुझसे कहा कि राकेश फन्ने खां के लिए आपकी हां का इंतजार कर रहे हैं तो मैं चकित रह गया। मैंने उससे फिर स्क्रिप्ट मांगी। जब मैंने इसकी कहानी पढ़ी तो मैं समझ नहीं पाया कि मैंने इतनी अच्छी कहानी को ना कैसे बोल दिया था। आखिरकार मैंने यह फिल्म साइन कर ली।

सवाल : फन्ने खां से आपका भावनात्मक जुड़ाव है क्योंकि इस फिल्म में आपकी जो बेटी बनी है वह मोटी है। इसी वजह से उसे अपनी प्रतिभा दिखाने में मुश्किल पेश आती है। असल जिंदगी में भी सोनम कपूर पहले बहुत मोटी थीं और उनको भी कॅरिअर शुरू करने मे दिक्कत आई थी।
’यह बात सच है कि फन्ने खां बाप-बेटी की कहानी है जिसमें एक बाप उसकी अदंरूनी खूबसूरती को देखता है। उसकी काबलियत और उसके हुनर को देखता है। लेकिन दुनिया उसी कलाकार की बाहरी सुंदरता को देखती है जो कि उसकी बेटी में नही होती। वह मोटी होती है। ऐसे में फन्ने खां ठान लेता है कि वह अपनी बेटी को गायिका बनाकर रहेगा। वह कामयाब भी होता है। खास बात ये है कि अगर एक कलाकार में हुनर है, उसका प्रस्तुतीकरण अच्छा है तो उसे कामयाब होने से कोई नहीं रोक सकता। इंडस्ट्री मे कई ऐसे गायक हैं जो हिट हैं लेकिन सुंदर नही है। जहां तक सोनम का सवाल है तो उसमे भी प्रतिभा थी। तभी उसको संजय लीला भंसाली, राकेश ओमप्रकाश मेहरा, राजू हिरानी जैसे काबिल मेकर ने साइन किया। वे फिल्में हिट भी हुईं। सोनम ने लगातार आठ हिट दी हैं। ऐसा मैं खुद अपने शुरुआती करिअर में नहीं कर पाया था।

सवाल :.तो क्या फन्ने खां के बाद क्या क्या इस सोच में कोई बदलाव आएगा कि अगर एक लड़की खूबसूरत नहीं है तो उसमें प्रतिभा नहीं है?
’ पहले ही ऐसी सोच में बदलाव आ चुका है। पहले की तरह अब लड़कियां अपने लुक को लेकर इतना तनाव नहीं लेतीं। सोशल मीडिया पर आज लड़कियां हर विषय पर खुल कर बात करती हैं। जब मैंने वीरे दी वेडिंग बनाई थी तब हमारी पूरी टीम में 150 सदस्य थे। इनमें से 80 लड़कियां थीं। कई बार जब मैं सेट पर जाता था तो पुरुष सदस्य खोजने पर भी नहीं मिलते थे। प्रोडक्शन हाउस में हर क्षेत्र में लड़कियों का बोलबाला है।
सवाल : फन्ने खां में नए निर्देशक अतुल मांजरेकर और नई अभिनेत्री पीहू सैंड हैं। ऐसे मे आपको अपनी जिम्मेदारी का कितना अहसास होता है फिल्म की सफलता को लेकर?
’सच कहूं तनाव तो होता है क्योंकि फिल्म की जिम्मेदारी मुझ पर है। मैं ही दर्शकों के निशाने पर रहूंगा। अगर फिल्म हिट हुई तो भी और फ्लाप हुई तो भी। मैं उन में से तो हूं नहीं कि सेट पर आकर निर्देशक के काम में कमी निकालूं। निर्देशक तो मेरे लिए सब कुछ है। लिहाजा थोड़ा तनाव शुरुआत में हुआ। लेकिन बाद में तसल्ली भी हुई कि पीहू और निर्देशक अतुल ने इस फिल्म में बहुत मेहनत से काम किया है।

सवाल :आप जहां 17 साल बाद इस फिल्म में ऐश्वर्या राय बच्चन के साथ काम कर रहे हैं, वहीं 19 साल बाद माधुरी दीक्षित नेने के टोटल धमाल मे साथ काम कर रहे हैं। कैसा महसूस हो रहा है?
’मुझसे ऐसा बहुत लोग पूछ रहे हैं। अगर हम साथ काम नहीं करते हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि हम मिलते-जुलते ही नहीं। जैसे अमित जी के घर पर हर साल दिवाली की पार्टी होती है वहां सब को बुलाया ही जाता है। ऐश्वर्या की तरह माध्ुारी भी अच्छी दोस्त हंै। जब वे अमेरिका में थीं तब भी मैं उनसे मिले बिना नहीं लौटता था। लिहाजा दोस्तों के साथ काम करना तो हमेशा मजेदार होता है।

सवाल : बतौर अभिनेता आपने कई फिल्में ठुकराई होंगी। अब आप निर्माता भी हैं। अब आपको सितारों के पीछे भागना पड़ता है तो कैसा लगता है?
’मेरे अजीज दोस्त आदि चोपड़ा ने एक बात कही थी जो मैंने गांठ बांध ली। वह यह कि किसी भी बात का बुरा नहीं मानना चाहिए। अगर कोई एक बार ना कहे तो उसके बाद दूसरी-तीसरी बार कोशिश करो। मैं भी वैसा ही करता हूं। पेशेवर हूं लेकिन ईगो नहीं रखता। मैं ही सामने से झुक जाता हूं। माफी भी मांग लेता हूं अगर जरूरत पड़ती है तो । मुझे भी कई अभिनेताओं ने ना बोला। जैसे खूबसूरत में कोई भी हीरो काम करने के लिए तैयार नहीं था। …और वीरे दी वेडिंग में कोई भी अभिनेत्री तैयार नहीं थी। फिर भी दोनों फिल्मे बनीं।

सवाल :आप 61 साल के हैं लेकिन लगते 45 साल के हैं। तो क्या आप अपनी सदाबहार जवानी का राज बताएंगे?ह्णह्ण
’अरे क्या बात कर रही हैं। मैं इतना बड़ा लगता हूं 45 साल का? कुछ तो भगवान की मेहरबानी है और कुछ मैं अपनी सेहत का अच्छे से ख्याल रखता हूं। जैसे पहले देर रात पार्टी करता था, अब नहीं करता। समय पर सोता और खाता हूं। इसके अलावा खास बात यह है कि मैं किसी भी परेशानी को आधे-एक घंटे से ज्यादा अपने पास नहीं रखता।मेरा मानना है कि सारी बीमारियों की जड़ मानसिक तनाव है। जो भी इससे छुटकारा पाना सीख गया, वह जीवन में कभी बीमार नहीं होगा। मेरी सेहत का भी यही राज है कि मैं तनाव नहीं लेता।