भाजपा को आज उस समय शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा जब उसकी मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार किरण बेदी के प्रचार सहायक नरेंद्र टंडन ने उनपर ‘तानाशाही’ रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए पार्टी छोड़ दी लेकिन उन्होंने बाद में अपना इस्तीफा वापस लेने का फैसला किया।

भाजपा की दिल्ली इकाई के पूर्व सचिव एवं दिल्ली प्रदेश कार्यकारी समिति में स्थायी आमंत्रित सदस्य टंडन ने अपना त्यागपत्र सुबह पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को भेज दिया था जिसे स्वीकार कर लिया गया था। यद्यपि टंडन ने बाद में कहा कि वह अपना त्यागपत्र वापस ले रहे हैं क्योंकि ‘‘भाजपा छोड़ने का निर्णय एक भावनात्मक निर्णय था।’’

इससे पहले दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने कहा कि टंडन के इस्तीफे को पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व की ओर से स्वीकार कर लिया गया है। टंडन ने शाह को लिखे अपने त्यागपत्र में कहा, ‘‘मैंने बेदी के तानाशाही रवैये के चलते आज भाजपा से इस्तीफा दिया। मेरे लिए उनके अधीन काम करना मुश्किल था।’’

सूत्रों ने कहा कि भाजपा के कई नेताओं ने टंडन को त्यागपत्र वापस लेने के लिए राजी किया क्योंकि चुनाव से पहले इससे पार्टी की छवि प्रभावित हो रही थी। बेदी को आगामी सात फरवरी के विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा का मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किये जाने के बाद से ही टंडन उनकी प्रचार टीम का हिस्सा थे।

भाजपा की एबीवीपी के साथ अपने जुड़ाव के समय टंडन 1990 के दशक के अंतिम वर्षों में दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संघ के महासचिव थे। पार्टी के विभिन्न पदों से होते हुए वह बाद में उस समय दिल्ली भाजपा के सचिव बने जब ओ पी कोहली को पार्टी की दिल्ली इकाई का प्रमुख बनाया गया था।