उपभोक्ता अदालत ने मध्य रेलवे के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह उस वरिष्ठ नागरिक को 20 हजार रुपए का मुआवजा प्रदान करें जिसे ट्रेन में उसका कोच रद्द किए जाने से कठिनाई का सामना करना पड़ा क्योंकि उसे कोच रद्द होने की सूचना पहले से नहीं दी गई और न ही वैकल्पिक यात्रा प्रबंध मुहैया कराए गए।
जिला उपभोक्ता वाद निवारण फोरम ने ठाणे के अंबरनाथ नगर के वडावली निवासी पूरन सिंह मेहरा की शिकायत पर यह फैसला दिया। शिकायतकर्ता ने कहा कि उसे 14313 मुंबई एलटीटी-बरेली एक्सप्रेस से दो मई 2011 को कल्याण से बरेली जाना था । इसके लिए उसने आठ फरवरी को आरक्षण टिकट बुक कराया था। उसे एसी स्लीपर कोच बी-2 में 60 नंबर सीट का टिकट दिया गया।
हालांकि यात्रा के दिन जब वह कल्याण स्टेशन पहुंचा तो उद्घोषणा हुई कि कोच बी-1 रद्द कर दिया गया है और कोच बी-2 इंजन से 14वां डिब्बा है। इस पर शिकायतकर्ता बी-2 कोच पहुंचा और 60 नंबर सीट पर बैठ गया। मनमाड स्टेशन पर टिकट निरीक्षक ने उसे सीट खाली करने को कहा और बताया कि वह किसी और के लिए आरक्षित है। टिकट निरीक्षक ने यह भी कहा कि उसे सीट द्वितीय श्रेणी के शयनयान में दी गई थी जो बी-2 के लिए विकल्प के रूप में जोड़ा गया था।
मेहरा ने अपनी शिकायत में यह भी कहा कि उसकी यात्रा के दिन कल्याण स्टेशन पर यह उद्घोषणा हुई थी कि कोच बी-1 रद्द कर दिया गया है और बी-2 इंजन से 14वां डिब्बा है। लेकिन टिकट निरीक्षक ने उसकी बात नहीं सुनी और उसे सीट छोड़ने को विवश कर दिया।
वातानुकूलित से गैर वातानुकिलत डिब्बे में सीट बदल दिए जाने से उसे बरेली तक की यात्रा में कठिनाई का सामना करना पड़ा। मेहरा ने कहा कि उसने द्वितीय श्रेणी शयनयान में सीट स्वीकार नहीं की और इसकी जगह समूची यात्रा बी-2 कोच के फुटबोर्ड पर बैठकर की। उसने कहा कि इससे वह अगले पांच दिन तक बीमार रहा और उपचार पर 8,710 रुपए खर्च हुए। उसने यह भी कहा कि वह मधुमेह और हृदय रोगी था।
मेहरा ने अपना यात्रा किराया वापस मांगा और उपचार पर खर्च हुए 8,710 रुपए और कानूनी खर्च भी मांगा। उसने कहा कि उसने रेलवे को इसके लिए नोटिस भेजा था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इसलिए उसने उपभोक्ता अदालत से संपर्क किया।
रेलवे ने तर्क दिया कि तृतीय श्रेणी वातानुकूलित यान बी-2 में कुछ तकनीकी समस्या थी और उसे रद्द कर दिया गया। इसकी जगह, ट्रेन में गैर वातानुकूलित द्वितीय श्रेणी यान जोड़ा गया। हालांकि लोकमान्य तिलक टर्मिनस पर स्टाफ की गलती की वजह से यह उद्घोषणा हो गई कि कोच बी-1 रद्द कर दिया गया है और कल्याण सहित रेलवे स्टेशनों पर यह उद्घोषणा प्रसारित हुई। लेकिन, जब गलती का पता चला तो उन्होंने सभी स्टेशनों को सूचित किया और गलती ठीक करने को कहा।
रेलवे ने यह भी कहा कि टिकट निरीक्षक ने शिकायतकर्ता को सूचित किया कि तृतीय एसी बी-2 कोच रद्द कर दिया गया है और इसकी जगह उन्हें द्वितीय श्रेणी के शयनयान में व्यवस्थित किया गया है, लेकिन उसने कोई बात नहीं सुनी और इस बात पर अड़ गया कि वह उसी डिब्बे में उसी सीट पर सफर करेगा। यह संभव नहीं था क्योंकि यह सीट किसी और को आबंटित थी। इसलिए शिकायत खारिज की जानी चाहिए।
उपभोक्ता फोरम अध्यक्ष स्नेहा एस म्हात्रे और सदस्यों माधुरी विश्वरूपे और एनडी कदम ने कहा कि प्रतिवादी ने शिकायतकर्ता को कोच रद्द होने की पहले से सूचना नहीं दी और कल्याण में गलत उद्घोषणा की गई। फोरम ने आदेश दिया कि रेलवे शिकायतकर्ता को किराए की 50 फीसद राशि (422 रुपए) वापस करे और मुआवजे और कानूनी खर्च के रूप में दस-दस हजार रुपए प्रदान करे।